रामलला ने अभी तक वनवासी की तरह ही जीवन व्यतीत किया है, अब उनकी राजा की तरह पूजा की जाएगी
नई दिल्ली
22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इस दिन रामलला की नई प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों की जाएगी। इस बीच नई और पुरानी मूर्ति को लेकर बहस छिड़ी हुई है। लोगों के मन में सवाल है कि अगर मंदिर में नई मूर्ति को जगह दी गई है तो पुरानी मूर्ति का क्या होगा। राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने इसको लेकर लोगों के हर संशय को दूर कर दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि रामलला ने अभी तक वनवासी की तरह ही जीवन व्यतीत किया है। अब उनकी राजा की तरह पूजा की जाएगी।
इंटरव्यू में रामलला की प्रतिमा को लेकर उन्होंने कहा, 'रामलला बहुत ही समस्या में रहे हैं। 6 दिसंबर के बाद रामलला त्रिपाल में रहे। किसी तरह पूजा-अर्चना होती रही। अभी वह अस्थायी मंदिर में हैं। 28 साल के बाद भव्य मंदिर बना है। अभी तक तो अव्यवस्थित ही रहा। वनवासी की तरह ही सारी व्यवस्था रही। अब रामलला की पूजा अर्चना एक राजा की तरह होगी। उनकी पूजा अर्चना विधि विधान से होती रहेगी।'' पुजारी ने कहा कि जैसे सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आता है। ठीक वैसे ही रामलला के साथ हुआ है।
मुख्य पुजारी ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ''अयोध्या में वर्षों से रामलला कठिनाई में रहे। हमको भी कठिनाई हो रही थी। यह कठिनाई अब समाप्त हो चुकी है। अब आनंद ही आनंद है।'' नई मूर्ति पर उन्होंने कहा, "दोनों में बस आकार का अंतर है। दूर से दर्शन में कठिनाई होती है। नया मंदिर तो नई मूर्ति चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब दर्शन के लिए खोला जाएगा तब लोगों को दोनों मूर्तियों के दर्शन होंगे। गर्भगृह में ही दोनों मूर्तियां रहेंगी।'' पुरानी मूर्ति के बारे में उन्होंने कहा कि जिसका उससे अधिक लगाव होगा, उस मूर्ति के दर्शन से उसे उतनी प्रसन्नता होगी। लोग दोनों के लाभ उठाएंगे।
शंकराचार्य ने उठाए सवाल
आपको बता दें कि ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को पत्र लिखा है। इस पत्र में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सवाल उठाए हैं कि राम मंदिर परिसर में अगर नई मूर्ति की स्थापना होगी, तो रामलला विराजमान का क्या होगा? श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी महाराज को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, ''कल समाचार माध्यमों से पता चला है कि रामलला की मूर्ति किसी स्थान विशेष से राम मंदिर परिसर मे लाई गई है और उसी की प्राण प्रतिष्ठा निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में की जानी है। एक ट्रक भी दिखाया गया, जिसमें वह मूर्ति लाई जा रही बताई जा रही है। इससे यह अनुमान होता है कि नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में किसी नवीन मूर्ति की स्थापनी की जाएगी, जबकि श्रीरामलला विराजमान तो पहले से ही परिसर में विराजमान हैं. यहां प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि यदि नवीन मूर्ति की स्थापना की जाएगी तो श्रीरामलला विराजमान का क्या होगा?''