November 25, 2024

कारसेवकों के बलिदान के बिना संभव नहीं था राममंदिर

0

रायपुर

महाराष्ट्र मंडल ने एक भव्य आयोजन में सन् 1990 और 92 में राममंदिर आंदोलन में कारसेवक के रूप में शामिल हुए आजीवन सभासदों का अभिनंदन किया। इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि भारतीय मजदूर संघ (बीएमसी) के संगठन मंत्री बी सुरेंद्रन ने कहा कि कारसेवकों के संघर्ष, त्याग और बलिदान के बिना अयोध्या में राममंदिर संभव नहीं हो पता। युवावस्था में जब मैंने करियर की अनदेखी कर घर- बार छोड़ दिया था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक बन गया था, तब परिजनों ने कहा था कि तुमने तो अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली। लेकिन अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलाल प्रतिमा के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह से चंद दिन पहले ही उन्हीं स्वजनों ने फोन कर कहा कि तुमने तो अपने जीवन को धन्य कर लिया। तुम्हारा जीवन सार्थक हो गया।

सुरेंद्रन ने रामेश्वरम के पास रामसेतु में तकरीबन डेढ़ किलोमीटर पदयात्रा का स्मरण करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने रामसेतु को तोड़ने का प्रयास किया था। जर्मनी से मशीनरी और इंजीनियर आए थे, उनके विफल होने के बाद दोबारा विदेशी टेक्निशियन व मशीनों के माध्यम से यह प्रयास किया गया। दोनों ही बार उन्हें विफलता मिली और जो लोग यह प्रयास कर रहे थे, वह रात को दु:स्वप्न की वजह से सो नहीं पाए और भाग खड़े हुए।

महाराष्ट्र मंडल में रामोत्सव का शुभारंभ राम रक्षा स्त्रोत से किया गया। आध्यात्म समिति की प्रभारी आस्था काले के नेतृत्व में 151 बार राम रक्षा स्त्रोत पाठन करने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। प्रभु श्रीराम के जयघोष के साथ महाआरती की गई। बीएमएस मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के संगठन मंत्री सुनील किरवई ने अपने सारगर्भित भाषण में भारतीय संस्कृति, परंपरा की विशेष चर्चा की और समाज व परिवार में रिश्तों की महत्ता को उजागर किया। उन्होंने कहा कि सन् 1991 में उत्तर प्रदेश में रामसेवकों पर तत्कालीन सरकार की ज्यादतियों और गोलीबारी के बीच जब यहां मैंने अपनी मां से कारसेवा करने के लिए अयोध्या जाने की अनुमति मांगी तो उन्होंने बिना संकोच मुझे अनुमति देते हुए कहा कि वहां से श्रीराम का प्रसाद लेकर आना। मैंने उनसे पूछा कि वहां तो गोलियां चल रही हैं।

आपने मुझे रोका क्यों नहीं, तो मां ने कहा कि तू कारसेवा करने अयोध्या जाएगा, यह तय है। अनुमति नहीं दूंगी तो जिद व अवसाद के साथ जाएगा। वहां तेरा मन नहीं लगेगा। रामकाज में जा रहा है, तो सब ठीक होगा और लौटते समय प्रसाद लेकर आना। यह मां का विश्वास है और आशीर्वाद भी, कि हम अपने प्रयास में सफल हों। सुनील किरवई ने कहा कि मेरी दो मां हैं। एक वह मां कमला मुकुंद किरवई, जिसने मुझे जन्म दिया और एक वह मां, जो मेरी भाभी भी है शशि रघुनाथ किरवई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *