November 25, 2024

मुख्य न्यायाधीश पी बी वराले को सीजेआई ने शपथ दिलाई, बना इतिहास

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कर्नाटक 
कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी बी वराले को सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलाई। सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस वराले को पद की शपथ दिलाई गई। न्यायमूर्ति वराले को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने की मंजूरी केन्द्र ने बुधवार को दी थी। उनके शपथ लेने के बाद शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या पूर्ण हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है जिसमें प्रधान न्यायाधीश भी शामिल हैं। यह पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट में तीन वर्तमान जज दलित समुदाय से हैं। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में इतिहास रचा गया है।

दलित समुदाय से संबंध रखने वाले दो अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार हैं। इस महीने की शुरुआत में जस्टिस वराले के नाम की सिफारिश करते वक्त सीजेआई चंद्रचूड़ नीत सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने कहा था कि उसने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि वह उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक हैं। कॉलेजियम ने यह भी कहा था कि वह उच्च न्यायालय के एकमात्र मुख्य न्यायाधीश हैं जो अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। पिछले महीने न्यायमूर्ति एस के कौल की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत में एक पद रिक्त हुआ था। 

जस्टिस वराले की नियुक्ति कॉलेजियम द्वारा उनके नाम की सिफारिश करने के एक सप्ताह के भीतर ही कर दी गई। कानून मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया, ''भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत प्रदत्त की गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी बी वराले को भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करते हुए प्रसन्नता महसूस हो रही है..।'' 

कौन हैं जस्टिस वराले
जस्टिस वराले के नाम की सिफारिश करते हुए कॉलेजियम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल लगभग पूरे समय 34 न्यायाधीशों की पूर्ण क्षमता के साथ काम किया था और इसलिए वह वर्ष 2023 में 52,191 मामलों का निपटारा करने का गौरव हासिल कर सका। न्यायमूर्ति वराले का जन्म 23 जून 1962 में हुआ था और उन्हें 18 जुलाई, 2008 को बंबई उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्हें 15 अक्टूबर 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। 
 

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