September 22, 2024

आज ऋषि पंचमी व्रत, जानें नियम और पूजा का शुभ मुहूर्त

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हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का खास महत्व होता है. हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. ऋषि पंचमी का यह त्योहार आमतौर पर हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाया जाता है. इस साल ऋषि पंचमी का त्योहार आज यानी 1 सितंबर 2022 को मनाया जा रहा है.इस दिन सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है. महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं. आइए जानते है ऋषि पंचमी का शुभ मुहूर्त और कथा

ऋषि पंचमी शुभ मुहूर्त (Rishi Panchami Shubh Muhurat)

 

ऋषि पञ्चमी पूजा मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 23 मिनट से शाम 01 बजकर 53 मिनट पर

ऋषि पञ्चमी पूजा मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 23 मिनट से शाम 01 बजकर 53 मिनट पर

पञ्चमी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 31, 2022 को शाम 03 बजकर 22 मिनट से शुरू
पञ्चमी तिथि समाप्त – सितम्बर 01, 2022 को शाम 02 बजकर 49 मिनट पर खत्म

ऋषि पंचमी की कथा (Rishi Panchami Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, विदर्भ में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास किया करता था. दोनों की दो संतानें थी- एक पुत्र और एक पुत्री. ब्राह्मण ने योग्य वर देखकर अपनी बेटी का विवाह उसके साथ कर दिया है. लेकिन कुछ दिन बाद ही उसकी अकाल मृत्यु हो गई. इसके बाद उसकी बेसहारा पत्नी अपने मायके वापस लौट आई. एक दिन जब उत्तक की विधवा पुत्री सो रही थी, तब मां को उसके शरीर में कीड़े उत्पन्न होते नजर आए. ये देख वो घबरा गई और फौरन इसकी सूचना अपने पति को दी.

उत्तक ब्राह्मण ने ध्यान लगाने के बाद बताया कि पूर्वजन्म में उसकी पुत्री ब्राह्मण की पुत्री थी. लेकिन माहवारी के दौरान उससे एक बड़ी गलती हो गई थी. उसने माहवारी की अवस्था में बर्तनों को छू लिया था और ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया था. इस वजह से ही उसकी ये दशा हुई है. तब पिता के कहने पर पुत्री ने ऋषि पंचमी का व्रत किया और स्वस्थ हो पाई.

ऋषि पंचमी पूजा विधि ( Rishi Panchami Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें और मंदिर की सफाई करने के बाद सभी देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं. मंदिर में सप्त ऋषियों की तस्वीर लगाएं और उसके सामने एक जल से भरा कलश रख लें. फिर सप्त ऋषियों की पूजा करें सबसे पहले उन्हें तिलक लगाएं फिर धूप-दीपक दिखाकर पुष्प अर्पित करें. इसके बाद मिठाई का भोग लगाएं. सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगे और व्रत की कथा सुनने के बाद आरती करें. पूजा के बाद सभी को प्रसाद बांटें.

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