September 27, 2024

सब मिलकर हिंदू समाज की चिंता करें : डॉ मोहन भागवत

0

मुरैना
जैसे शरीर में प्रत्येक अंग की आवश्यकता है। शरीर के हर अंग को सुरक्षित और स्वस्थ रखेंगे, तब ही शरीर स्वस्थ रहेगा। ऐसे ही हम सब मिलकर हिंदू समाज की चिंता करें। आरएसएस में भले ही सामाजिक सद्भाव कार्य की शुरुआत 2007 से हुई है, लेकिन संघ में जात–पात का भेद प्रारंभ से नहीं है। सामाजिक समरसता के लिए संघ प्रारंभ से कार्य कर रहा है। यह बातें आरएसएस के सर संघचालक डा. मोहन भागवत ने मुरैना जिले के समाज प्रमुखों से मुलाकात करते हुए कहीं।

मुरैना में चल रहे आरएसएस के प्रांतीय सम्मेलन में संघ प्रमुख डा. भावगत की अगुआई में नए प्रांतीय पदाधिकारियों के नाम भी शनिवार को घोषित हो गए। मध्य भारत प्रांत के संघ चालक अशोक पाण्डेय ही रहेंगे, उनके कार्यकाल को तीन साल के लिए बढ़ाया गया है। प्रांत कार्यवाह की जिम्मेदारी हेमंत सेठिया को पदोन्न्न करते हुए सौंपी गई है, वे अब तक प्रांत सह कार्यवाह की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
 
प्रांतीय सम्मेलन के दौरान संघ प्रमुख शनिवार को वाल्मीकि समाज के भगवानदास वाल्मीकि, माहौर समाज के नत्थीलाल माहौर, प्रजापति समाज के आशाराम प्रजापति, नागर समाज के राजेंद्र नागर, श्रीवास समाज के मातादीन श्रीवास, राठौर समाज के श्यामलाल राठौर, ब्राह्मण समाज के सुरेश शास्त्री, मांझी समाज के प्रमोद मांझी, वैश्य समाज के डा. अनिल गुप्ता, जैन समाज के मनोज जैन, स्वर्णकार समाज के मदनलाल वर्मा, सिंधी समाज के प्रताप राय और कायस्थ समाज के दिनेश भटनागर से मिले और चर्चा की।

समाज प्रमुखों से डा. भागवत ने कहा, कि हम सबको मिलकर अपने हिंदू समाज को अच्छा और सुंदर बनाना है। सभी जाति बिरादरी माह में एक बार बैठने की योजना करें और विचार करें, कि हम सद्भाव के इस कार्य को खंड, मंडल और बस्ती तक कैसे लेकर जाएं। संघ प्रमुख ने कहा, कि 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में लघु भारत अयोध्या में दिख रहा था और सम्पूर्ण भारत में अयोध्या की अनुभूति हो रही थी। यह अनुभूति स्थायी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक समय में भारत में जाति एक व्यवस्था थी, जो जन्म के आधार पर नहीं, अपितु कार्य–व्यापार के आधार पर थी।
 
जैसे आज भी हम देखते हैं कि डाक्टर का बेटा डाक्टर, अधिवक्ता का बेटा अधिवक्ता बनाना पसंद करता है। जाति व्यवस्था ने मुगलों के आक्रमण के दौरान अपने हिंदू समाज के लोगों का संरक्षण किया। परंतु कालांतर में यह जाति व्यवस्था एक कुरीति में बदल गई। पूज्य संतों ने भी अनेक अवसरों पर हमें यह बात समझाने का प्रयत्न किया है। आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर छुआछूत को समाप्त करें।
 
संघ को 100 साल हो रहे हैं, पर अभी तो हमारा आधार बना है
कार्यकर्ता सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डा. भागवत ने कहा कि हम दुनिया में नया इतिहास घटित होते हुए देख रहे हैं। भारत भी करवट बदल रहा है। पिछले कई वर्षों में अनेक महानुभावों ने जो पुरुषार्थ किया है, उनका परिणाम आज दिख रहा है। हम सब निकट भविष्य में भारत को विश्वगुरु के रूप में देखेंगे, इसके लिए हमें भी अपनी तैयारी करनी होगी। उन्होंने कहा 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, लेकिन अभी हमारा लक्ष्य पूर्ण नहीं हुआ है। अभी तो आधार बना है।

वास्तविक कार्य करने का समय तो अब आया है। हम 2025 तक अपने संगठन की रचना पूरी करें। भविष्य में समाज को राष्ट्रीय दिशा देने के लिए हमारे कार्यकर्ताओं को अपना आत्म विकास करना होगा। आज संघ की ओर अपेक्षा से देखा जा रहा है। समाज जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर लोग संघ से चाहते हैं। हमें ऐसे समाज का निर्माण करना है, जो अपने प्रश्नों का समाधान करने में स्वयं सक्षम हो।

डा. भागवत ने कहा कि समाज में संघ के अलावा भी बहुत सारी सज्जन शक्ति रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्य कर रहे हैं। हमें समाज की उन सज्जन शक्तियों का भी सहयोग लेना चाहिए और उन्हें भी सहयोग करना चाहिए। कार्यकर्ता सम्मेलन में समापन सत्र में अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह डा. मनमोहन वैद्य, क्षेत्र संघचालक अशोक सोहनी, क्षेत्र कार्यवाह अशोक अग्रवाल, क्षेत्र सह कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध भी शामिल हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *