DMRC ने लगाई सुप्रीम कोर्ट में अर्जी, जुर्माना बढ़कर हुआ 9000 करोड़
नई दिल्ली.
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. तकरीबन 7 साल पहले एक आरबिट्रेशन में DMRC को 4700 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया था. अब यह राशि ब्याज समेत 9000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है. ऐसे में DMRC ने एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने शीर्ष अदालत में क्यूरेटिव पीटिशन दाखिल कर मामले में पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. DMRC की अर्जी स्वीकार की जाए या नहीं, CJI डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस पर सुनवाई की. नामचीन वकील हरीश साल्वे ने DMRC की याचिका पर सवाल करते हुए इसे खारिज करने की मांग की. हालांकि, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने DMRC की क्यूरेटिव पीटिशन पर सुनवाई के लिए 5 जजों की पीठ गठित करने का आदेश दे दिया.
यह मामला दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लिमिटेड से जुड़ा है. दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस ने मई 2017 में DMRC के खिलाफ एक मामले मे कानूनी जीत हासिल की थी. इस आरबिट्रेशन में DMRC को दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस को 4700 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था. DMRC ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अर्जी दाखिल की थी, लेकिन दिल्ली मेट्रो को शीर्ष अदालत से भी राहत नहीं मिली थी. DMRC ने इस रकम का भुगतान नहीं किया. यह राशि सूद समेत तकरीबन 9000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. इसके बाद DMRC ने एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए क्यूरेटिव पीटिशन दायर कर दी.
हरीश साल्वे की दलील
दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने बहस में हिस्सा लिया था. DMRC ने सुप्रीम कोर्ट से वर्ष 2021 के फैसले को पलटने की मांग की है. दूसरी तरफ, हरीश साल्वे ने DMRC की क्यूरेटिव पीटिशन का पुरजोर विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट से अर्जी पर विचार न करने की मांग की. हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ के सामने दलील देते हुए कहा कि इस मामले में क्यूरेटिव पीटिशन दायर करने का कोई औचित्य नहीं है. लिहाजा, DMRC की याचिका को खारिज किया जाए. हरीश साल्वे ने कहा कि क्यूरेटिव पीटिशन पर विचार करने का कोई आधार नहीं है.
सात साल पुराना मामला
दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लिमिटेड साल 2013 तक दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन को संचालित करती थी. DMRC ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया था. इसके बाद कानूनी लड़ाई शुरू हो गई थी. दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लिमिटेड के पक्ष में आरबिट्रेशन का फैसला आया था. DMRC ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी साल 2021 में DMRC के खिलाफ आया था.