ऊर्जा सुरक्षा और क्षमता बढ़ाने की नई रणनीति
भोपाल
आम नागरिकों के जीवन में खुशहाली बढ़ाने और आर्थिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिये ऊर्जा सुरक्षा देने और क्षमता बढ़ाने की नई रणनीति पर मध्यप्रदेश सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। विद्युत क्षेत्र के विकास और विस्तार के लिए राज्य सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। प्रतिदिन गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घंटे एवं कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे गुणवत्तापूर्ण बिजली मिल रही है।
विद्युत उपलब्ध क्षमता 21840 मेगावाट हो गई है। दिनांक 29 दिसम्बर, 2023 को प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक 17586 मेगावाट शीर्ष मांग की पूर्ति की गई। वित्तीय वर्ष 2023-24 के बचे महीनों में 1007 मेगावाट तथा 2024-25 के दौरान 5008 मेगावाट विद्युत उपलब्ध क्षमता बढ़ाने की रणनीति पर काम शुरू हो गया है।
विद्युत कंपनियों ने विद्युत व्यवस्था एवं विद्युत प्रणाली को मजबूत बनाने के लिये कई उल्लेखनीय काम किए हैं। इनमें 184 मेगावाट विद्युत उपलब्ध क्षमता में वृद्धि, 12 नवीन अति उच्चदाब उपकेन्द्रों की स्थापना, 636 सर्किट किमी अति उच्चदाब लाईन का निर्माण, 23 नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों की स्थापना, 606 किमी 33 केव्ही एवं 884 किमी 11 केव्ही लाइनों का निर्माण एवं 2373 वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना प्रमुख हैं। अप्रैल से दिसंबर, 2023 के बीच कुल 7335 करोड़ यूनिट विद्युत प्रदाय की गयी, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि से 545 करोड़ यूनिट यानी 8 प्रतिशत ज्यादा है।
उपभोक्ताओं को भरपूर लाभ
उपभोक्ताओं के हित में कई योजनाएँ शुरू की गई हैं। अटल गृह ज्योति योजना में प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ताओं को योजना का लाभ दिया जा रहा है, जिनकी मासिक खपत 150 यूनिट तक है। पात्र उपभोक्ताओं को प्रथम 100 यूनिट की खपत के लिये अधिकतम 100 रूपये का बिल दिया जा रहा है। अंतर की राशि सब्सिडी के रूप में वितरण कंपनियों को दी जा रही है। योजना में 100 वाट तक के संयोजित भार के 30 यूनिट तक की मासिक खपत वाली उपभोक्ता श्रेणी एल.व्ही. 1.1 के अनुसूचित जाति/जनजाति के गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति माह 25 रूपये का बिल दिया जा रहा है। राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को योजना के लिये वर्ष 2022-23 में 8082 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई। वर्ष 2023-24 के बजट में 4690 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान है। इस योजना से लगभग 103 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह लाभ मिल रहा है।
अटल कृषि ज्योति योजना में 10 हार्सपॉवर तक के अनमीटर्ड स्थाई कृषि पंप कनेक्शनों को 750 रूपये प्रति हार्सपॉवर प्रतिवर्ष एवं 10 हार्सपॉवर से अधिक के अनमीटर्ड स्थाई कृषि पंप कनेक्शनों को 1500 रुपये प्रति हार्सपॉवर प्रतिवर्ष की फ्लेट दर से बिजली मिल रही है। साथ ही 10 हार्सपॉवर तक के मीटरयुक्त स्थाई कृषि पंप कनेक्शन एवं अस्थाई मीटर्ड एवं अनमीटर्ड कृषि पंप कनेक्शनों को भी मासिक नियत प्रभार एवं ऊर्जा प्रभार में रियायत दी गई है। इस योजना से लगभग 26 लाख कृषि उपभोक्ताओं को लाभ मिल रहा है। वितरण कंपनियों को वर्ष 2022-23 में 12995 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई। वर्ष 2023-24 में 11520 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया गया है।
किसानों के हित में 1 हेक्टेयर तक भूमि एवं 5 हार्सपावर तक के कृषि पंप वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसानों को निःशुल्क बिजली दी जा रही है। इसकी प्रतिपूर्ति के लिये राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को वर्ष 2022-23 में 4997 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की गई एवं वर्ष 2023-24 में इसके लिये 5775 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया गया है। इससे लगभग 9.36 लाख कृषि उपभोक्ताओं को लाभ मिल रहा है।
कृषक/कृषकों के समूहों स्थायी कृषि पंप कनेक्शन देने मांग को देखते हुए "मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना" लागू की गई है। कृषक/कृषकों के समूह के 3 एच.पी. या अधिक क्षमता के स्थायी पंप कनेक्शन के लिये वितरण कंपनी द्वारा 200 मीटर दूरी तक 11 के.व्ही. लाइन का विस्तार एवं वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किया जायेगा। अधोसंरचना विकास लागत की केवल 50 प्रतिशत राशि का वहन संबंधित कृषक/कृषकों के समूह करेंगे। यह योजना 2 वर्षों तक प्रभावशील रहेगी। प्रथम वर्ष में योजनांतर्गत 10,000 पंप कनेक्शन देने का लक्ष्य है।
रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस)
विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गुणवत्तापूर्ण विद्युत पूर्ति के उद्देश्य से परिणाम आधारित वितरण क्षेत्र योजना रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) लागू की गई है। योजना का उद्देश्य वितरण कंपनियों की समग्र तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियों को कम करना तथा बिजली की प्रतियूनिट लागत तथा राजस्व के अंतर को समाप्त करना है।
योजना में केंद्र सरकार द्वारा प्रीपेड मीटर एवं सिस्टम मीटरिंग कार्य के लिये 15 प्रतिशत राशि तथा विद्युत् अधोसंरचना के उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण कार्यों के लिये 60 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में विद्युत वितरण कंपनियों को देने का प्रावधान है।
इस योजना को वर्ष 2025-26 तक पूरा किया जाना है। योजना में प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग एवं सिस्टम मीटरिंग वितरण हानियों में कमी के लिये प्रस्तावित कार्य एवं प्रणाली सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण के कार्य शामिल है। राज्य सरकार ने लगभग 24,170 करोड़ रुपये की कार्ययोजना को स्वीकृति दी है। लगभग 2.64 लाख स्मार्ट मीटर स्थापित हो गये हैं एवं वितरण हानियों में कमी के लिए अधोसंरचना निर्माण के लिये लगभग रुपये 7794 करोड़ के कार्यादेश जारी हो गये हैं। इसमें से लगभग रूपये 875 करोड़ के कार्य किये जा चुके हैं।
आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश-2023 के अंतर्गत भविष्य की विद्युत मांग की आपूर्ति करने के लिये पारेषण प्रणाली के विस्तार के लिये टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धात्मक निविदाओं के माध्यम से अति उच्चदाब उपकेन्द्रों एवं उससे संबंधित लाइनों के निर्माण कार्य को शामिल किया गया है। टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धा बोली (टीबीसीबी) के माध्यम से राज्य में 1 नग 400 के.व्ही., 7 नग 220 के.व्ही. तथा 27 नग 132 के.व्ही. उपकेन्द्रों तथा संबद्ध पारेषण लाइनों का निर्माण होगा। अब तक 10 उपकेन्द्रों तथा संबंद्ध पारेषण लाइनों के कार्य पूरे किये जा चुके है।
उपभोक्ता सेवाओं में सुधार
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत प्रदाय संबंधी शिकायतों के निराकरण के लिये केन्द्रीयकृत कॉल सेंटरों (1912) को क्रियाशील कर उनकी क्षमता बढ़ाई गई है। शिकायतों के निराकरण के बाद उपभोक्ता संतुष्टि के लिये फीडबैक व्यवस्था का भी प्रावधान है। असंतुष्ट उपभोक्ताओं से मैदानी अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत सम्पर्क कर, उनकी समस्या का निराकरण किया जाता है। नये कनेक्शन, संयोजित भार में वृद्धि/कमी, टैरिफ श्रेणी में परिवर्तन, नाम परिवर्तन जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही है। उच्च एवं निम्न दाब के नये कनेक्शन के लिये आवेदन नाम/भार और उपयोग परिवर्तन, प्रोफाईल में परिवर्तन, बिल भुगतान एवं शिकायत, सेल्फ फोटो रीडिंग, मीटर स्थान परिवर्तन एवं स्थाई विच्छेदन के लिये कंपनियों द्वारा स्मार्ट बिजली एप उपयोग में ला रहे हैं।
उद्योगों के लिए छूट
ग्रामीण फीडरों के माध्यम से आपूर्ति प्राप्त करने वाले उच्चदाब उपभोक्ता के नियत प्रभार में 5 प्रतिशत की छूट और न्यूनतम खपत में 20 प्रतिशत छूट उपलब्ध है। ओपन एक्सेस खपत में कमी कर वितरण कंपनी से बिजली क्रय करने पर बढ़ी हुई खपत पर 1 रुपये प्रति यूनिट की छूट और कैप्टिव प्लांट से खपत में कमी कर वितरण कंपनी से बिजली क्रय करने पर बढ़ी हुई खपत पर 2 रुपये प्रति यूनिट की छूट मिलेगी।