अबू धाबी में भारतीय बच्चे मंदिर के उद्घाटन में आने वाले अतिथियों के लिए तैयार कर रहे ‘लघु खजाना’
अबू धाबी
संयुक्त अरब अमीरात में 100 से अधिक भारतीय स्कूली छात्र छोटे-छोटे पत्थरों पर चित्रकारी करने में व्यस्त हैं जिन्हें राजधानी अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए आ रहे मेहमानों को याद के रूप में भेंट किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को अबू धाबी में बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे, जो संयुक्त अरब अमीरात में पहला पारंपरिक हिंदू मंदिर है।
स्कूली बच्चे तीन महीने से प्रत्येक रविवार को मंदिर में ''स्टोन सेवा'' दे रहे हैं और अब ''लघु खजाना'' कहे जा रहे इन उपहारों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
तिथि पटेल (12) के लिए पत्थर सेवा एक सप्ताहांत गतिविधि है जिसका वह अपने दोस्त के साथ आनंद उठा रही है।
पटेल ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''हमने मंदिर स्थल पर बचे हुए पत्थर और छोटे पत्थर एकत्रित किए। फिर हमने उन्हें धोया और प्राइमर की एक परत चढ़ाकर उनकी पॉलिश की और फिर उन्हें रंगा। प्रत्येक पत्थर पर एक तरफ प्रेरिक पंक्ति और दूसरी तरफ मंदिर के किसी भी हिस्से की चित्रकारी है।''
इस रविवार को पत्थरों को 'गिफ्ट बॉक्स' में रखने में व्यस्त रहीं रेवा कारिया (8) ने कहा कि उन्होंने उपहार को 'लघु खजाना' नाम दिया है क्योंकि बच्चे अपने नन्हें हाथों से इन्हें बना रहे हैं।
उसने कहा, ''यह पत्थर अतिथियों को इस भव्य मंदिर के उनके पहले दर्शन की याद दिलाएंगे। मैं अपने माता-पिता के साथ यहां आयी हूं और उन्होंने भी मंदिर में सेवा दी है।''
अर्णव ठक्कर (11) ने कहा कि पत्थरों पर बनायी जा रही चित्रकारी प्रतिज्ञा का प्रतिबिंब है और शांति, प्यार तथा सौहार्द को दर्शाती है।
दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित बीएपीएस हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है और इस मंदिर का निर्माण कार्य 2019 से चल रहा है। इस मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने दान की है।
संयुक्त अरब अमीरात में तीन अन्य हिंदू मंदिर हैं जो दुबई में स्थित हैं। पत्थर की वास्तुकला के साथ एक बड़े इलाके में फैला बीएपीएस मंदिर खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा मंदिर होगा।
प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार से संयुक्त अरब अमीरात की दो दिवसीय यात्रा करेंगे और इस दौरान 14 फरवरी को विशाल मंदिर का उद्घाटन करेंगे।
मंदिर के प्राधिकारियों के अनुसार, आंतरिक भाग के निर्माण में 40,000 घन फुट संगमरमर का उपयोग किया गया है।