विकासशील देशों के खिलाफ कार्बन कर लगाना अनुचित: मुख्य आर्थिक सलाहकार
विकासशील देशों के खिलाफ कार्बन कर लगाना अनुचित: मुख्य आर्थिक सलाहकार
भारत-पेरू व्यापार समझौते पर अगले दौर की बातचीत अप्रैल में होने की संभावना
भारत में सोने की शोधन इकाइयां स्थापित करने का बेहतरीन अवसर है: आईएफएससीए चेयरमैन
नई दिल्ली
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकसित देशों के कार्बन सीमा समायोजन व्यवस्था (सीबीएएम) जैसे उपाय विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए सही नहीं हैं।
यूरोपीय संघ ने भारत और चीन जैसे देशों के इस्पात, सीमेंट जैसे कुछ क्षेत्रों के उत्पादों पर कार्बन कर (सीबीएएम) लगाने का फैसला किया है।
कार्बन कर एक जनवरी, 2026 से लागू होगा। एक अक्टूबर, 2023 को शुरू हुई परीक्षण अवधि के दौरान इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, एल्युमीनियम और हाइड्रोकार्बन उत्पादों सहित सघन कार्बन उत्सर्जन वाले सात क्षेत्रों को उत्सर्जन आंकड़े यूरोपीय संघ के साथ साझा करने हैं।
नागेश्वरन ने आश्चर्य जताते हुए कहा, ''जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई करके विकासशील देश विकसित दुनिया में लोगों और कंपनियों के जीवन और संपत्तियों को भी सुनिश्चित कर रहे हैं… अगर ऐसा है तो विकसित देशों में आर्थिक गतिविधियां सुनिश्चित करने के लिए अपनी ओर से कार्रवाई करने के बदले में उन्हें क्या मिल रहा है?''
आर्थिक मामलों के विभाग और एशियाई विकास बैंक द्वारा संयुक्त रूप से जलवायु वित्त पर आयोजित क्षेत्रीय कार्यशाला में उन्होंने कहा, ''स्पष्ट रूप से, विकसित देश, विकासशील दुनिया को जिस तरह का प्रीमियम देने पर विचार कर रहे हैं, वह कार्बन सीमा समायोजन व्यवस्था नहीं हो सकती है। इसे उससे कहीं अधिक सकारात्मक होना चाहिए।''
यूरोपीय संघ का कार्बन कर भारतीय निर्यातकों की लाभप्रदता को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि भारत के लिए यूरोप शीर्ष आयात गंतव्यों में से एक है।
यूरोपीय संघ के साथ भारत का कुल व्यापार 2022-23 में 134.71 अरब डॉलर रहा है। इसमें से आयात 59.87 अरब डॉलर तथा निर्यात 74.84 अरब डॉलर था।
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के नजरिये से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सबसे अच्छा बीमा निरंतर आर्थिक वृद्धि है।
भारत-पेरू व्यापार समझौते पर अगले दौर की बातचीत अप्रैल में होने की संभावना
नई दिल्ली
भारत और दक्षिण अमेरिकी देश पेरू के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए अगले दौर की बातचीत अप्रैल में शुरू होने की संभावना है। आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
दोनों देशों के अधिकारियों ने 14 फरवरी को लीमा (पेरू की राजधानी) में छठे दौर की वार्ता संपन्न की। प्रस्तावित समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है।
ऐसे समझौतों में दो व्यापारिक भागीदार सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाने के अलावा, उनके बीच व्यापार की जाने वाली अधिकतम संख्या में वस्तुओं पर सीमा शुल्क को या तो काफी कम कर देते हैं या समाप्त कर देते हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, ‘‘व्यापार समझौते के लिए भारत-पेरू वार्ता का छठा दौर 12 से 14 फरवरी 2024 तक पेरू की राजधानी लीमा में हुई ताकि 2017 में शुरू की गई वार्ता पर प्रगति जारी रहे। 2017 में वार्ता प्रक्रिया की औपचारिक घोषणा की गई थी।''
इस दौर में वस्तुओं के व्यापार, उत्पत्ति के नियम, सेवाओं में व्यापार, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं और व्यापार सुविधा तथा विवाद निपटान आदि पर नौ कार्य समूहों व्यक्तिगत बैठकें करेंगे।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘इसके अतिरिक्त इस सप्ताह तथा अगले सप्ताह में अन्य कार्य समूह व्यापार में प्रौद्योगिकी बाधाएं, सहयोग आदि पर ऑनलाइन बैठकें करना जारी रखेंगे। अगले दौर की वार्ता अप्रैल 2024 में होने की उम्मीद है।''
समझौते के लिए बातचीत 2017 में शुरू हुई थी। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण उन्हें रोक दिया गया था और बाद में अक्टूबर 2023 में वार्ता को ऑनलाइन प्रारूप में फिर से शुरू किया गया।
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत और पेरू के बीच द्विपक्षीय व्यापार 3.12 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। भारत ने पेरू को 865.91 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का सामान निर्यात किया और वहां से 2.25 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का सामान आयात किया।
भारत में सोने की शोधन इकाइयां स्थापित करने का बेहतरीन अवसर है: आईएफएससीए चेयरमैन
नई दिल्ली
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के चेयरमैन के. राजारमण ने देश में सोना शोधन इकाइयां स्थापित करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सोने का एक प्रमुख खरीदार है। इस क्षेत्र में मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने की भी काफी गुंजाइश है।
राजारमण ने कहा, ‘‘बड़ा खरीदार होने के कारण शोधन (रिफाइनिंग) का बेहतरीन अवसर है। भारत शोधन के लिए करीब 250 टन डोर का आयात करता है। मुझे लगता है यह देखना दिलचस्प होगा कि गिफ्ट सिटी में शोधन शुरू किया जा सकता है या नहीं। उचित नियम लागू हैं और यदि किसी और सुधार की आवश्यकता है तो हम उस पर भी विचार कर सकते हैं।''
उन्होंने कहा कि इसे सुविधाजनक बनाने के लिए कर नीतियों या सीमा शुल्क शुल्कों में कुछ बदलाव की आवश्यकता हो सकती है और '' हम निश्चित रूप से इस पर गौर करेंगे।''
राजारमण ने यहां आईआईएम अहमदाबाद- आईजीपीसी (इंडिया गोल्ड पॉलिसी सेंटर) द्वारा आयोजित एक स्वर्ण सम्मेलन में यह बात कही।
आईएफएससीए की स्थापना 27 अप्रैल 2020 को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के तहत की गई थी। इसका मुख्यालय गुजरात की गिफ्ट सिटी (गांधीनगर) में है।
एफएम लॉजिस्टिक इंडिया ने भिवंडी में तीसरी वितरण सुविधा का किया उद्घाटन
भिवंडी
एफएम लॉजिस्टिक इंडिया ने खुदरा, एफएमसीजी, दवा और प्रिसिजन इंजीनियरिंग क्षेत्रों में ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां अपनी तीसरी वितरण सुविधा का उद्घाटन किया।
एफएम लॉजिस्टिक के अनुसार, सात लाख वर्ग फुट का ग्रेड ए+ वितरण केंद्र 'मल्टी-क्लाइंट' और 'मल्टी-एक्टिविटी ओमनीचैनल' आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है।
फ्रांस की अनुबंध लॉजिस्टिक्स प्रदाता की भारतीय शाखा की फर्रुखनगर (हरियाणा) और बेंगलुरु में भी ऐसी ही सुविधाएं हैं।
एफएम लॉजिस्टिक इंडिया के प्रबंध निदेशक अजीत जंगले ने कहा, ‘‘भिवंडी में हमारे तीसरे वितरण केंद्र के उद्घाटन के साथ हमने भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति को दोहराया है…''
उन्होंने कहा कि यह सुविधा एकीकृत, नवीन और टिकाऊ मूल्य वर्धित समाधान प्रदान करती है। यहा तैनात 'को-पैकिंग सेट-अप' गतिशील व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा।
कंपनी के अनुसार, एफएम लॉजिस्टिक इंडिया का नया वितरण केंद्र अपने रणनीतिक स्थान और सह-पैकिंग क्षमताओं के साथ, विभिन्न क्षेत्रों के लिए व्यापक तथा कुशल समाधान प्रदान करता है। यह ग्राहकों की बढ़ती लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला की जरूरतों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।