पाकिस्तान की नई सरकार के सामने आईएमएफ से नया कर्ज मिलना बड़ी चुनौती
इस्लामाबाद
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि पाकिस्तान को आईएमएफ से नया कर्ज मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। मूडीज ने दावा किया है कि राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण आने वाली सरकार के लिए अप्रैल में एक बड़े कार्यक्रम के लिए आईएमएफ से संपर्क करना मुश्किल होगा। इससे अर्थव्यवस्था टूटेगी और लिक्विडिटी मैनेज करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
मूडीज का ये दावा पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था आईएमएफ के कर्ज के सहारे ही लुढ़क रही है। बीते साल ही पाकिस्तान को आईएमएफ से कर्ज मिला है लेकिन अब फिर से उसे एक बड़ी मदद की जरूरत है। आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर की मदद का कार्यक्रम अगले महीने खत्म हो रहा है। नई सरकार के सामने एक नया बेलआउट पैकेज हासिल करना प्राथमिकता के रूप में देखा जा रहा है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के चुनाव परिणाम के बाद बनी स्थितियों पर मूडी का आंकलन नई गठबंधन सरकार के लिए चिंता का संकेत है। आने वाले समय में राजनीतिक अस्थिरता की संभावना को देखते हुए मूडी के विश्लेषकों ने 'क्रेडिट निगेटिविटी' दिया है। एजेंसी का तर्क है कि गठबंधन राजनीतिक रूप से बहुत एकजुट नहीं हो सकता है, इससे आवश्यक सुधारों को आगे बढ़ाने पर आम सहमति बनाना मुश्किल हो जाता है। ये राजनीतिक के साथ आर्थिक अनिश्चितताओं को बढ़ा सकते हैं।
अप्रैल में आईएमएफ से संपर्क होगा मुश्किल
मूडीज का दावा है कि अनिश्चितताओं के कारण आने वाली सरकार के लिए अप्रैल में एक बड़े कार्यक्रम के लिए आईएमएफ से संपर्क करना कठिन हो जाएगा। जिससे बाहरी अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाएगी। इसकी संभावना इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गिरने के बाद बनी पीडीएम गठबंधन की सरकार ने भी सार्वजनिक प्रतिक्रिया से बचने के लिए आईएमएफ के बताए सुधारों को लागू करने में काफी में देर की थी। ऐसे में आने वाली गठबंधन सरका को लेकर भी कई अंदेशे हैं।
पाकिस्तान के कई एक्सपर्ट सेना समर्थित एसआईएफसी (विशेष निवेश परिषद) पर अपनी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। एसआईएफसी के बावजूद अरबों डॉलर का निवेश करने वाले खाड़ी देश अब तक राजनीतिक अनिश्चितता के कारण पाकिस्तान के बाजार में प्रवेश करने से झिझक रहे हैं। सबको इसका अंदेशा है कि पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति चरमरा सकती है और वह अपने कर्ज देने में नाकाम हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आईएमएफ से उसे एक प्रोग्राम मिले। अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियों में नया गठबंधन कैसे आगे बढ़ता है। वह काफी हद तक पाकिस्तान की आर्थिक दिशा तय करेगा।