September 24, 2024

देशभर में महाशिवरात्रि बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है, जानिये सही तिथि, मुहूर्त और उसका महत्व

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नई दिल्ली
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। देशभर में इस दिन को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने का विधान है। शिवपुराण के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने मां पार्वती से विवाह किया था। इसके साथ ही वैराग्य का जीवन त्याग कर गृहस्थ का जीवन शुरू किया था। इसी के कारण इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति के हर कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि की सही तिथि, मुहूर्त और महत्व।

महाशिवरात्रि 2024 तिथि

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ- 08 मार्च को रात 09 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी।

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि का समापन- 9 मार्च को शाम 06 बजकर 17 मिनट तक

महाशिवरात्रि की सही तिथि- 8 मार्च 2024

महाशिवरात्रि 2024 पूजा मुहूर्त

महाशिवरात्रि की निशिता पूजा का मुहूर्त- देर रात 12 बजकर 07 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 56 मिनट तक
निशिता काल पूजा समय: 09 मार्च को सुबह 12 बजकर 12 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय: शाम 06 बजकर 29 मिनट से रात 09 बजकर 33 मिनट तक

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: 8 मार्च को सुबह 09 बजकर 33 मिनट से 9 मार्च सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय: 09 मार्च को सुबह 12 बजकर 37 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय: 09 मार्च को सुबह 03 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक

महाशिवरात्रि 2024 शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन सुबह से ही सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सुबह 6 बजकर 45 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इसके अलावा सुबह 4 बजकर 45 मिनट से लेकर 9 मार्च को सुबह 12 बजकर 45 मिनट तक शिव योग रहेगा।

महाशिवरात्रि 2024 पारण का समय
महाशिवरात्रि पारण समय 09 मार्च को सुबह 06 बजकर 44 मिनट से 6 बजकर 18 मिनट तक

महाशिवरात्रि 2024 पूजा विधि

शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प ले लें। इसके साथ ही शिव मंदिर जाकर शिवलिंग में जल, दूध, गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, फूल आदि अर्पित करने के साथ घी का दीपक जलाकर शिव चालीसा, मंत्र का पाठ कर लें।

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