September 30, 2024

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को किया रिजेक्ट

0

नई दिल्ली
किसान आंदोलन को लेकर बड़ी खबर आ रही है। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया है। गौरतलब है कि बीते दिन संयुक्त किसान मोर्चा ने लुधियाना में एक बैठक कर शंभू बॉर्डर पर न जाकर अलग से आंदोलन की बात कही थी। इसके साथ दूसरे रास्ते से दिल्ली कूच की बात कही थी। वहीं बता दें कि यह संयुक्त किसान मोर्चा अभी किसी भी आंदोलन में शामिल नहीं है, लेकिन धरनारत किसानों की मांगों का समर्थन किया है। शंभू बॉर्डर पर जो किसान आंदोलनरत हैं वे सभी संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक से हैं।

एसकेएम गैर राजनीतिक प्रस्ताव पर कर रहा विचार
वहीं बता दें कि शंभू बॉर्डर पर डटे संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक की लीडशिप अभी केंद्रीय मंत्रियों के प्रस्ताव पर चर्चा कर रही है। उन्होंने चंडीगढ़ में हुई चौथी बैठक के बाद प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 2 दिन का समय मांगा है। वह अपना फैसला 21 तारीख बताएंगे। उन्होंने कहा कि अगर सहमति बनी तो ठीक नहीं तो 21 को किसान शांतिपूर्वक दिल्ली कूच करेंगे।

'खरीद व एमएसपी नहीं दे सकते तो जनता को सीधा बताएं'
अब एसकेएम ने चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों के मक्का, कपास, अरहर/तूर, मसूर और उड़द  की  फसलों को A 2+FL+50% एमएसपी पर खरीदने और खेती में फसल चक्र विधि (विविधीकरण) को बढ़ावा देने के लिए किसानों के साथ पांच साल का अनुबंध करने के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। एसकेएम  का मानना है कि केंद्रीय मंत्रियों का प्रस्ताव खरीद की गारंटी और सभी फसलों पर C2+50% एमएसपी की गारंटी की मांग से किसानों का ध्यान भटका रहा है। जिसका वादा 2014 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने घोषणापत्र में किया था। इसके साथ ही मूल रूप से स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा ये सिफारिशें की गईं थीं। एसकेएम ने घोषणा की कि गारंटीकृत खरीद वाली सभी फसलों के लिए एमएसपी C2+50% से नीचे कुछ भी भारत के किसानों को स्वीकार्य नहीं है। अगर मोदी सरकार बीजेपी के वादे को लागू नहीं कर पा रही है तो प्रधानमंत्री ईमानदारी से जनता को बताएं।

बैठकों पर एसकेएम ने उठाए सवाल
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री यह स्पष्ट करने को तैयार नहीं हैं कि उनके द्वारा प्रस्तावित एमएसपी A2+FL+50% पर आधारित है या C2+50% पर है। चर्चा में कोई पारदर्शिता नहीं है जबकि चार बार चर्चा हो चुकी है। यह दिल्ली सीमाओं पर 2020-21 के ऐतिहासिक किसान संघर्ष के दौरान एसकेएम द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक संस्कृति के खिलाफ है। उन वार्ताओं के दौरान, एसकेएम द्वारा चर्चा के प्रत्येक बिंदु और किसानों के रुख को सार्वजनिक जानकारी के लिए रखा गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *