September 23, 2024

अब दशहरे पर एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे में होगी महाभारत, ग्राउंड के लिए दोनों मैदान में

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मुंबई
इस साल दशहरे पर मुंबई के शिवाजी पार्क में महाभारत देखने को मिल सकती है। कारण है- एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच शिवसेना को लेकर चल रही वर्चस्व की जंग। दरअसल, मुंबई नगर निकाय के मुताबिक, दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क की बुकिंग के लिए उद्धव ठाकरे और सीएम एकनाथ शिंदे दोनों समूहों की तरफ से आवेदन आए हैं। दशहरा रैली शिवसेना के लिए हमेशा से ही बड़ा महत्वपूर्ण कार्यक्रम रहा है। बालासाहेब ठाकरे के दौर से ही इस पार्क में हर साल दशहरा रैली होती रही हैं। जिसमें प्रदेश भर के शिवसैनिकों का जमावड़ा होता है। ऐसे में दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क की बुकिंग करके एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच शक्ति प्रदर्शन देखने को मिल सकता है।

मुंबई के नगर निकाय ने शुक्रवार को कहा कि उसे उद्धव ठाकरे और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुटों से दशहरा रैली के लिए विशाल शिवाजी पार्क को बुक करने के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं। यह रैली हमेशा से शिवसेना के राजनीतिक कैलेंडर के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहा है। यह सिलसिला बालासाहेब द्वारा शुरू किया गया और अब उद्धव ठाकरे इसे आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन, जून में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद सेना में विभाजन के कारण शिवसेना दो खेमों में बंट गई है। शिंदे महाराष्ट्र के मुखिया हैं और प्रदेश की सत्ता उनके हाथ में है। शिंदे कई मौकों पर खुद को असली शिवसैनिक भी कह चुके हैं।  इस बार दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क में महाभारत तय है। रैली के लिए शिंदे और उद्धव दोनों गुटों ने अपनी दावेदारी पेश की है। नगर निकाय के मुताबिक, पहला आवेदन 22 अगस्त को शिवसेना के ठाकरे धड़े का था और दूसरा गणेश उत्सव से ठीक पहले शिंदे समूह की तरफ से आया।'

1966 में पहली रैली हुई थी
कुछ दशक पहले जाएं तो शिवाजी पार्क पर पहली दशहरा रैली 1966 में आयोजित की गई थी और इसे शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे ने संबोधित किया था। बालासाहेब अपनी बेबाकी और तीखे भाषण के लिए जाने जाते थे। इस कार्यक्रम में उनको सुनने के लिए राज्यभर से शिवसैनिक बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए थे। गौरतलब है कि इससे पहले, उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उनकी पार्टी पहले की तरह शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करेगी, जबकि उनके बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने आरोप लगाया था कि रैली के लिए पार्टी के आवेदन को अधिकारियों से बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

 

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