डीजीसीए ने व्हीलचेयर मामले में एयर इंडिया पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
नई दिल्ली
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने मुंबई हवाई अड्डडे पर एक 80 साल के यात्री को व्हीलचेयर उपलब्ध नहीं कराने के मामले में एयर इंडिया पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
व्हीलचेयर नहीं मिलने के कारण यात्री को विमान से टर्मिनल तक चलना पड़ा था और वह गिर गया था। बाद में इस यात्री की मृत्यु हो गई थी। यह घटना 12 फरवरी को हुई थी।
डीजीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एयर इंडिया पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है क्योंकि वह बुजुर्ग यात्री को व्हीलचेयर उपलब्ध कराने में विफल रही थी।
अधिकारी ने कहा, ''इसके अलावा एयर इंडिया ने इस मामले में गलती करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई की भी जानकारी नहीं दी है। साथ ही एयरलाइन भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सुधारात्मक कदमों की जानकारी देने में भी विफल रही है।''
इस महीने की शुरुआत में डीजीसीए ने एयरलाइन कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसपर एयर इंडिया ने नियामक को 20 फरवरी को अपना जवाब सौंपा था।
एयरलाइन ने कहा कि बुजुर्ग यात्री दूसरी व्हीलचेयर का इंतजार करने के बजाय एक अन्य व्हीलचेयर पर बैठी अपनी पत्नी के साथ चलने लगे थे।
अधिकारी ने कहा, ''सभी एयरलाइन कंपनियों को इस बारे में एक परामर्श भी जारी किया गया है। उनसे कहा गया है कि जिन यात्रियों को विमान पर चढ़ने या उतरने के दौरान मदद की जरूरत होती है, उनके लिए पर्याप्त संख्या में व्हीलचेयर की व्यवस्था होनी चाहिए।''
उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ रहा है 'न्यूट्रास्यूटिकल' उद्योग : एफएसएसएआई प्रमुख
नई दिल्ली
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कमला वर्धन राव ने कहा है कि चार अरब डॉलर के मौजूदा बाजार आकार के साथ भारत का न्यूट्रास्युटिकल (पौष्टिक-औषधीय तत्व युक्त) उद्योग उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहा है।
उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राव ने कहा, ''…न्यूट्रास्यूटिकल उद्योग न केवल बढ़ रहा है, बल्कि सभी अपेक्षाओं से अधिक तेजी से फल-फूल रहा है।'' उन्होंने कहा कि मांग और आपूर्ति में वृद्धि के कारण पोषण और खाद्य सुरक्षा पर अब अधिक ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गेहूं और चावल जैसे खाद्यान्न की आनुवंशिकी में छेड़छाड़ के बीच उत्पादों की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने में नियामकीय भूमिका आज अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।