November 26, 2024

प्रदेश में सभी विभागों के सहयोग से चलाया जायेगा “जल-हठ’’ अभियान

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प्रदेश में सभी विभागों के सहयोग से चलाया जायेगा “जल-हठ’’ अभियान

मुख्यमंत्री डॉ. यादव को जल संसाधन मंत्री सिलावट ने भेंट की कार्य-योजना

मध्यप्रदेश कृषि, खाद्य और डेयरी प्रोसेसिंग में निवेश के लिए देश का सर्वाधिक अनुकूल राज्य

भोपाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश के प्रत्येक ग्राम में "हर घर जल" पहुंचाने के लिए वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन शुरू किया गया। इस मिशन की पूर्ण सफलता के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में "जल-हठ" अभियान जन आंदोलन के रूप में चलाया जाएगा। इसमें सरकार और समाज की भागीदारी से हर गांव, हर नगर में पुराने तालाबों एवं अन्य जल स्रोतों का उन्नयन, विकास, सौंदरीकरण, गहरीकरण कराया जाएगा तथा जल स्रोतों के आस पास किए गए अतिक्रमण को हटाकर वृक्षारोपण किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से गत दिवस मंत्रालय में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने भेंट कर उन्हें इस अभियान की अवधारणा बताई तथा कार्य-योजना प्रस्तुत की। साथ ही अनुरोध किया कि सभी विभागों के सक्रिय सहयोग से प्रदेश के प्रत्येक ग्राम में "जल-हठ" अभियान को जन आंदोलन के रूप में चलाया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आश्वस्त किया कि पूरे प्रदेश में जल स्रोतों के संरक्षण एवं जल संवर्धन को जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा।

मंत्री सिलावट ने कहा कि अभियान के अंतर्गत जल स्रोतों के अतिक्रमणों को प्राथमिकता से हटाया जाएगा। प्रदेश के तालाबों एवं अन्य जल स्रोतों में अतिक्रमण से उनका कैचमेंट एरिया समाप्त होता जा रहा है, जिससे जल स्रोतों में प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है तथा सिंचाई एवं पीने का पानी कम हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के छोटे-छोटे नदी नालों में पहले वर्ष भर जल संरक्षित रहता था, किंतु ये नदी-नाले अब समाप्तप्राय हो गए हैं। वर्षा के जल को संरक्षित करने एवं भूजल उन्नयन के लिए इन्हें पुनर्जीवित करना अत्यंत आवश्यक है।

मंत्री सिलावट ने बताया कि "जल-हठ" अभियान के अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में प्राकृतिक जल स्रोतों, तालाबों के पुनर्जीवन कार्य के लिए उन्हें चिन्हित कर योजना बनाई जाएगी और समाज के विभिन्न वर्गों एवं स्वेच्छिक संगठनों के सहयोग से इसे जन आंदोलन के रूप में चलाया जाएगा। अभियान में सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक/सांस्कृतिक संगठनों, खेल संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों, संत महंतों तथा बुद्धिजीवी वर्ग का भी पूरा सहयोग लिया जाएगा।

मंत्री सिलावट ने कहा कि मध्यप्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन की समृद्धशाली परंपरा रही है। प्रदेश की चंदेल एवं गोंडकालीन जल संरक्षण प्रणाली न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध रही। हमने प्रदेश में सिंचाई संसाधनों की बढ़ोतरी में आशातीत सफलता पाई है। वहीं तालाबों के पुनर्जीवन और जीर्णोद्धार के लिए कई व्यापक कार्य किए गए हैं। सरकार की प्राथमिकता प्राकृतिक जल स्रोतों एवं तालाब को बचाने की है और उसके लिए हम योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश कृषि, खाद्य और डेयरी प्रोसेसिंग में निवेश के लिए देश का सर्वाधिक अनुकूल राज्य

रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव-2024

मध्यप्रदेश, देश का सबसे अच्छा फूड बास्केट है। कृषि खाद्य तथा डेयरी प्रोसेसिंग उद्योगों में निवेश के लिए आज की स्थिति में मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक अनुकूल राज्य है। उज्जैन में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव-2024 के प्रथम दिवस सेमिनार में शामिल उद्योगपतियों तथा एंटरप्रेन्योर्स ने मध्यप्रदेश में एग्रीकल्चर, फूड तथा डेयरी प्रोसेसिंग के विकास एवं निवेश की अपार संभावना पर चर्चा की और इस दिशा में मध्यप्रदेश शासन की सकारात्मक उद्योग नीति की सराहना की। सेमिनार के द्वितीय सत्र में प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त एस.एन. मिश्रा, प्रमुख सचिव पशुपालन तथा डेयरी गुलशन बामरा, प्रमुख सचिव उद्यानिकी तथा फूड प्रोसेसिंग सुखबीर सिंह, सीनियर मैनेजर पेप्सीको संदीप समदार, आईटीसी के वाइस प्रेसिडेंट सचिन शर्मा, ट्रॉपी लाइट फूड्स के सीईओ पुनीत डावर और डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर मदर डेयरी जेटी चारी शामिल थे।

सेमिनार में कृषि उत्पादन आयुक्त मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने निवेशकों से कहा कि बिना किसी परेशानी के उनको सभी सुविधाएं प्रदान की जायेंगी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में तीसरा स्थान रखता है। टमाटर, सोयाबीन, गेहूँ, मक्का, प्याज, लहसुन और हरी मिर्च के उत्पादन में दूसरा स्थान रखता है। देश की 27% जैविक खेती मध्यप्रदेश में होती है। प्रमुख सचिव बामरा ने उद्योगपतियों को बताया कि मध्यप्रदेश विविध कृषि एवं उद्यानिकी गतिविधियों में देश में अग्रणी स्थान रखता है। साथ ही मध्यप्रदेश की उद्योग फ्रेंडली नीति से डेरी खाद्य तथा कृषि प्रसंस्करण उद्योगों के विकास में नवीन आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में 25 लाख हेक्टेयर भूमि में उद्यानिकी उत्पाद लिए जा रहे हैं। उद्यानिकी उत्पादों के समग्र रूप से उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। मध्यप्रदेश में फूल फल तथा एरोमेटिक फसलों के उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है। खाद्य डेरी प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए सकारात्मक उद्योग नीति बनाई गई है। प्रदेश में प्लांट तथा मशीनरी पर 40% तक सब्सिडी दी जा रही है। फूड पार्क के मामले में प्रोजेक्ट कॉस्ट की 15% राशि सब्सिडी के रूप में दी जा रही है।

कृषि खाद्य एवं डेयरी की सूक्ष्म इकाइयों की स्थापना के संबंध में अतिरिक्त रूप से शासन द्वारा इंसेंटिव प्रदान किया जाता है। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए अतिरिक्त तथा निर्यात करने वाली इकाइयों को एडिशनल 12% इंसेंटिव दिया जा रहा है।

सेमिनार में बताया कि मध्यप्रदेश में कृषि तथा खाद्य प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है। मध्यप्रदेश में 45 लाख हेक्टेयर में कृषि सिंचाई की सुविधा है। प्रदेश में बेहतर वेयरहाउसिंग कैपेसिटी है, 13 लाख मीट्रिक टन से अधिक क्षमता के कोल्ड स्टोरेज है। मध्यप्रदेश में 15 फूड क्लस्टर बनाए गए हैं। मध्यप्रदेश में प्रतिदिन साढ़े 5 लाख किलोग्राम दुग्ध उत्पादन होता है, जो सरप्लस है। दुग्ध उत्पादन में 9 से 10% ग्रोथ की पूर्ण संभावनाएं हैं।

सेमिनार में वाइस प्रेसिडेंट तथा एग्री एंड डेरी ऑपरेशनल आईटीसी सचिन शर्मा ने वर्तमान परिदृश्य की चुनौतियां मध्यप्रदेश में निवेश के बेहतर अवसर, मध्यप्रदेश की बेहतर उद्योग फ्रेंडली पॉलिसी तथा सहयोगी शासकीय मशीनरी की जानकारी दी। उन्होंने ई प्लेटफॉर्म क्लाइमेट चेंज पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि हम मध्यप्रदेश में 1000 करोड़ रूपए का निवेश कर फूड प्रोसेसिंग पार्क स्थापित कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में कृषि आधारित उद्योग इकाइयों के विकास की अपार संभावनाएं हैं। औद्योगिक पॉलिसी उद्योगपतियों के लिए अत्यंत सहयोगी है। मध्यप्रदेश निवेश के लिए एक आदर्श राज्य है।

सेमिनार में मदर डेयरी के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर जेटी चारी ट्रॉपी लाइट फूड्स के सीईओ पुनीत डावर पेप्सिको के सीनियर मैनेजर संदीप समदर ने भी अपनी कंपनियों के औद्योगिक उत्पादों तथा मध्यप्रदेश में बेहतर औद्योगिक वातावरण की बात कही। उन्होंने बताया कि वे उज्जैन की विक्रम उद्योग पुरी में भी औद्योगिक इकाई की स्थापना कर रहे हैं

सेमिनार में युवा उद्योगपतियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह तथा गुलशन बामरा द्वारा वांछित जानकारी उपलब्ध कराई गई।

 

 

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