September 23, 2024

‘शादीशुदा मुस्लिम महिला का लिव-इन में रहना हराम’, शरीयत का हवाला देकर याचिका खारिज

0

इलाहाबाद

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू शख्स के साथ ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रह रही एक शादीशुदा मुस्लिम महिला को सुरक्षा देने से इनकार करते हुए कहा कि कानूनी रूप से विवाहित मुस्लिम महिला शरीयत के हिसाब से किसी अन्य पुरुष या हिंदू पुरुष के नहीं रह सकती है. कोर्ट ने कहा कि ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहना शरीयत के हिसाब से जिना (व्यभिचार) और हराम माना जाएगा.

दरअसल महिला ने अपने पिता और रिश्तेदारों से अपने और पुरुष साथी को जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी. इस याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस रेनू अग्रवाल की पीठ ने कहा कि महिला के “आपराधिक कृत्य” का इस अदालत द्वारा समर्थन या संरक्षित नहीं किया जा सकता.

शरीयत का दिया हवाला
यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता ने अपने पति से तलाक की कोई डिक्री (तलाक पर मुहर का कानूनी आदेश) हासिल नहीं की है और वह लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है, कोर्ट ने कहा, "प्रथम याचिकाकर्ता (महिला) मुस्लिम कानून (शरीयत) के प्रावधानों का उल्लंघन करके दूसरे याचिकाकर्ता के साथ रह रही है.मुस्लिम कानून में विवाहित महिला शादीशुदा जिंदगी से बाहर नहीं जा सकती. इसलिए मुस्लिम महिला के इस कृत्य को  (व्यभिचार) और 'हराम' (अल्लाह द्वारा निषिद्ध कार्य) के तौर पर परिभाषित किया गया है.

इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, याचिकाकर्ता का विवाह मोहसिन नाम के शख्स से हुआ था जिसने दो साल पहले दूसरी शादी कर ली और वह अपनी दूसरी पत्नी के साथ रह रहा है. इसके बाद पहली पत्नी (याचिकाकर्ता) अपने मायके चली गई, लेकिन पति द्वारा गाली गलौज करने की वजह से वह एक हिंदू व्यक्ति के साथ रहने लगी.

महिला के रिश्तेदार कर रहे थे विरोध

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि महिला के पिता और रिश्तेदार उनके शांतिपूर्ण लिव-इन रिलेशनशिप में हस्तक्षेप कर रहे थे. सुनवाई के दौरान, विरोधी पक्ष के वकील ने महिला की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि चूंकि उसने अपने पति से तलाक की कोई डिक्री प्राप्त नहीं की है और दूसरे याचिकाकर्ता के साथ रहना शुरू कर दिया है, जो व्यभिचार की श्रेणी में आता है, इसलिए उनके रिश्ते को कानून द्वारा संरक्षित नहीं किया जा सकता है.

अदालत ने 23 फरवरी के अपने निर्णय में कहा कि चूंकि मुस्लिम महिला ने धर्म परिवर्तन के लिए संबंधित अधिकारी के पास कोई आवेदन नहीं किया है और साथ ही उसने अपने पति से तलाक नहीं लिया है, वह किसी तरह की सुरक्षा की हकदार नहीं है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *