November 27, 2024

द. अफ्रीका की तरह नैसर्गिक वन्य आवास बनाने की कोशिश

0

 भोपाल

कूनो में चीता प्रोजेक्ट सफल होने के बाद गिर के शेरों को शिफ्ट करने की दिशा में वन विभाग 6 साल के बाद एक बार फिर सक्रिय हुआ है। कें द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से वन विभाग एक बार फिर बैठक करने की नीति बना रहा है। वन्य प्राणी शाखा के पीसीसीएफ शुभ्ररंजन सेन ने बताया कि अभी इस मामले में वन्य प्राणी शाखा ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है।

लेकिन चीता के साथ बब्बर शेर को बसाने को लेकर वन विभाग शुरू से गंभीर है। वन्य प्राणी से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही वन विभाग इस संदर्भ में कोई नीति बना सकता है। एशियाई लॉयन को कूनो में शिफ्ट करने को लेकर कानूनी दाव-पेंच का मामला पूरी तरह से सुलझ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार के पक्ष में वर्ष 2013 में अपना फैसला सुना चुका है। वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने कूनो में बब्बर शेर को शिफ्ट करने के लिए कहा था। जंगल के राजा बब्बर शेर को कूनों में शिफ्ट करने को लेकर वर्ष 1996-97 और वर्ष 2015-16 में केंद्र सरकार 2406.29 लाख रुपए खर्च भी कर चुकी है।

6 साल पहले हुआ था पत्र व्यवहार
कूनों में चीता को शिफ्ट होने से पहले तत्कालीन वन मंत्री उमंघ सिंघार ने गिर के शेरों को कूनो में बसाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। लेकिन उसके बाद वन विभाग ने इस मामले को लेकर कोई पहल नहीं की। लेकिन अब चीता प्रोजेक्ट सफल होने के बाद यह माना जा रहा है कि विभाग इस मामले में अब बहुत जल्द पहल करने वाला है। चीता अपने प्रजातियों के बीच रहते हुए उसकी जीवन प्रत्याशा भी बढ़ेगी और बब्बर शेर को बचाया जा सकता है।

चीता और शेर साथ-साथ रहते हैं
दक्षिण अफ्रीका में चीता और बब्बर शेर साथ-साथ रहते हैं। कूनों नेशनल पार्क में चीता को देखने के लिए पिछले दो साल के अंदर जिस तरह से सैलानियों की संख्या बड़ी संख्या में बढ़ी है, वन विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर कूनों में बब्बर शेर को लाया जाता है तो यहां दर्शकों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ेगी। कूनों में चीता को रहते हुए दो साल से ज्यादा समय हो गया है। विभाग के लोगों का कहना है कि चीता भी भारतीय परिवेश में रहने के लिए अब पूरी तरह से अभ्यस्त हो चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *