September 25, 2024

UP में लोकसभा चुनाव अपनी ही सीट पर नहीं लड़ना चाहते कांग्रेसी नेता!

0

लखनऊ
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हिस्से में सपा से गठबंधन के तहत 17 सीटें आई हैं। हालांकि, कई चेहरे ऐसे हैं, जिन्होंने सीटें मिलने के बाद भी भीतरखाने चुनाव न लड़ने की इच्छा जताई है। जबसे यह बात सामने आई है, तब से कांग्रेस के भीतर इसके मायने तलाशे जा रहे हैं। कांग्रेस के भीतर कहा जा रहा है कि पहले तो अपनी चिरपरिचित सीट पर किसी और को आगे न बढ़ने देने की होड़ होती थी, लेकिन अब तो अपनी सीट पर नेता खुद मैदान में नहीं उतरना चाहते हैं। आखिर क्यों? मैदान मार लेने में संशय है या कोई और वजह?

जिन नेताओं के चुनाव लड़ने से इनकार करने की बात आ रही है, उनमें सबसे पहला नाम सुप्रिया श्रीनेत का है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता और सोशल मीडिया सेल की प्रमुख सुप्रिया ने 2019 में महराजगंज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह फौरन ही राजनीति में आई थीं। इस सीट से उनके पिता हर्ष वर्धन एमपी रहे थे। इस बार गठबंधन में मिली 17 सीटों में महराजगंज भी है तो सुप्रिया से इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए पूछा गया। सूत्र बताते हैं कि सुप्रिया ने संगठन का ही काम करते रहने का मन बताया है। मथुरा सीट भी कांग्रेस के ही हिस्से आई है। माना जा रहा था कि कांग्रेस विधानमंडल दल के पूर्व नेता प्रदीप माथुर को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन सूत्रों का दावा है कि वह भी पीछे हट रहे हैं।

फतेहपुर सीकरी और बाराबंकी से भी नामचीन चेहरे चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे हैं। बाराबंकी से पीएल पुनिया अपने बेटे तनुज को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। वहीं, खीरी के पूर्व सांसद रवि वर्मा को उनकी परंपरागत सीट की जगह सीतापुर लड़ने के लिए कहा जा रहा है। वह फिलहाल सीतापुर के लिए राजी नहीं बताए जा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि वह खुद लड़ने के बजाय अपनी बेटी पूर्वी वर्मा को खीरी से चुनाव लड़वाना चाहते थे, खुद मैदान में नहीं आना चाहते थे।

संगठन और अगली पीढ़ी को स्थापित करना वजह?

कांग्रेस के भीतर जानकारों का दावा है कि रवि वर्मा और पीएल पुनिया जैसे नामचीन लोग अपनी अगली पीढ़ी को स्थापित करने के लिए अपने नाम पर राजी नहीं हुए हैं। सुप्रिया के बारे में कहा जा रहा है कि चुनाव के दौरान उनकी जिम्मेदारी प्रभावित हो सकती है और चुनाव परिणाम दुरुस्त न आए तो उनके लिए आगे पद पर बने रहने में मुश्किल हो सकती है। प्रदीप माथुर के बारे में कहा जा रहा है कि वह स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए चुनाव से दूर रहना चाहते हैं।

क्या कमजोर पड़ेगी दावेदारी?

बड़े चेहरों के इस तरह किनारा करने से कांग्रेस की दावेदारी इन सीटों पर कमजोर पड़ती दिख सकती है। हालांकि, कांग्रेस संगठन फिलहाल इन सीटों पर नेताओं की मनाही को मानने के मूड में दिख नहीं रहा है। प्रयास जारी हैं कि ये बड़े नाम चुनाव मैदान में आएं, ताकि कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ सके। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में इन नेताओं से चुनाव लड़ने को लेकर बातचीत हो सकती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *