हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकें हर महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में सुगमतापूर्वक हों उपलब्ध : उच्च शिक्षा मंत्री परमार
भोपाल
उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रालय स्थित सभाकक्ष में मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी की कार्यसमिति एवं प्रबंधक मंडल की बैठक हुई। बैठक में प्रस्तावित कार्यसूची के अनुरूप विभिन्न बिंदुओं पर व्यापक चर्चा हुई। अकादमी के वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 27 करोड़ 94 लाख अड़सठ हजार रुपए के बजट का अनुमोदन हुआ।
उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में "आत्मनिर्भरता" अत्यंत महत्वपूर्ण संदर्भ है। हिंदी ग्रंथ अकादमी को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में क्रियान्वयन हो, इसके लिए अकादमी की विपणन व्यवस्था को सुदृढ़ और प्रभावी किया जाए। अकादमी की पुस्तकें प्रदेश के प्रत्येक महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में उपलब्ध हों। विश्वविद्यालयों के माध्यम से विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम आधारित पुस्तकों की सुगमतापूर्वक एवं समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करें। परमार ने उच्च शिक्षा विभाग को अकादमी के साथ समन्वय कर सत्र में प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या, समय पर साझा करने के निर्देश दिए इससे अकादमी द्वारा विद्यार्थियों को समय पर पुस्तकें उपलब्ध कराई जा सकें। इसके लिए व्यवसायिक दृष्टिकोण के साथ कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है। मंत्री परमार ने अकादमी की द्विमासिक पत्रिका "रचना" को अपने स्वाभाविक स्वरूप के साथ नवाचार समावेशी, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की गतिविधियों के संकलन समावेशी बनाने को भी कहा। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में "भारतीय ज्ञान परम्परा" विषय पर आधारित पुस्तिका के प्रकाशन के लिए भी स्वीकृति दी गई।
बैठक में अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा के.सी. गुप्ता, निदेशक मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी अशोक कड़ेल, वित्त विभाग के अधिकारी, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलगुरू एवं प्रबंधक मंडल के सदस्यगण उपस्थित रहे।