मातृ शक्ति स्वावलंबी होने के साथ ही भारतीय संस्कृति के संरक्षण का कार्य भी कर रही है-मंत्री पटेल
भोपाल
लखपति दीदी योजना ने देश एवं प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को एक नया आयाम दिया है। भोपाल जिले में ही 666 लखपति बहनें मौजूद हैं। यदि आज किसी महिला के पास एक लाख रुपए की पूंजी है तो उसके सम्मान से जीने की गारंटी है, उसके परिवार के बेहतर भविष्य की गारंटी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिला स्वावलंबन के उद्देश्य से संचालित की जा रही सभी योजनाओं ने हमारी मातृशक्ति को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाया है। महिला सशक्तिकरण ग्रामीण विकास की नींव रखता है। यह बात पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम विभाग मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने भोपाल जिले के हुजूर विधानसभा के ग्राम सरवर में आयोजित कार्यक्रम में कहीं।
मंत्री पटेल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश की स्व-सहायता समूह की बहनों से वर्चुअल संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने देश की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने वर्चुअल संबोधन का सीधा प्रसारण देखा।
मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि नमो ड्रोने स्कीम के द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाया जा रहा है। इससे कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और दक्षता में बढ़ोतरी हो रही है साथ ही महिलाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिल रहे हैं। इस योजना ने यह सिद्ध कर दिया कि महिलाएं भी पुरुषों की भांति तकनीक के क्षेत्र में हिस्सेदार बन सकती हैं। मंत्री पटेल ने कहा कि मैं नरसिंहपुर जिले का किसान हूं जहां गन्ने की खेती होती है। ड्रोन जैसी व्यवस्थाओं के माध्यम से हमारे किसान अपनी फसल को उपजाऊ बना पा रहे हैं। आजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों को बेहतर मार्केटिंग प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा रहा है, उनके उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही उनकी आय में बढ़ोतरी हो इसके भी विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। यह सभी व्यवस्थाएं मातृशक्ति को सशक्त एवं स्वालंबन बना रही हैं। हमारी संस्कृति की रक्षा करने वाला अगर कोई है तो वह मातृशक्ति है। मातृशक्ति ही बच्चों को संस्कारों से परिपूर्ण कर उनके मजबूत भविष्य का निर्माण करती है। मुझे विश्वास है कि महिलाओं का हुनर इसी तरह देश एवं प्रदेश को समृद्ध बनाएगा।
समस्त विश्व अपना रहा है भारत की जीवन पद्धति को
मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि मोटे अनाज (मिलेट्स) की गुणवत्ता के सामने आज पूरी दुनिया नतमस्तक है। मिलेट्स न केवल हमें रोगों से मुक्ति दिलाते हैं बल्कि हमारे शरीर के पोषण का भी ध्यान रखते हैं। पूर्व में मोटे अनाज का बहुत महत्व था जो बदलती जीवन शैली के साथ कम हो गया लेकिन आज मोटे अनाज ने दुनिया में अपना एक विशेष स्थान बना लिया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया। हमने कोरोना कल में वसुदेव कुटुंबकम उदय को सार्थक रूप देते हुए 100 से अधिक देशों में वैक्सीन एवं दवाइयां पहुंचाई। दूसरों के जीवन बचाने का मूल्य हमारी संस्कृति में हमें विरासत में मिला है। आज संपूर्ण विश्व हमारी इस जीवन शैली एवं पद्धति को अपना रहा है। विकास बिना विरासत के नहीं हो सकता इस विरासत का संरक्षण करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।