लंबे समय बाद मिलेंगे PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, क्या ये मुलाकात भारत को महंगी पड़ेगी?
नई दिल्ली
लद्दाख में चीन के घुसपैठ और 15 जून 2020 को हुआई गलवान हिंसा के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मिलने जा रहे हैं। द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में उज्बेकिस्तान में लगभग 3 साल बाद इन दोनों नेताओं की मुलाकात होगी। इसके अलावा इंडोनेशिया में G-20 की बैठक में पीएम मोदी की शी जिनपिंग से मुलाकात हो सकती है। हालांकि इस बैठक की संभावना के बीच अब भारतीय पक्ष को एक डर यह भी है कि कहीं भारत-चीन संबंध को बहाल करने के एवज में लद्दाख में चीन के घुसपैठ का मुद्दा किनारे लग जाएगा जो कि भारत के लिए घाटे का सौदा होगा।
सीमा पर भारत-चीन के बीच ठीक नहीं हुए हालात
यह सर्वविदित है कि चीनी सेना अभी भी भारतीय पक्ष को कई इलाकों में गश्त लगाने से न केवल रोक रही है, बल्कि वहां कई बंकर और अन्य सैन्य किलेबंदी कर रही है। भारत और चीनी पक्षों के बीच 16वार्ताएं हो चुकी हैं लेकिन अभी तक उसका कोई निष्कर्ष निकल नहीं पाया है। भारत लगातार चीनी पक्ष से साल 2020 की स्थिति को बहाल करने पर जोर दे रहा है जिसे चीन अनसुना कर रहा है और स्थिति को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रहा है।
डोकलाम विवाद के बाद बनी थी ऐसी स्थिति
ऐसे में पीएम मोदी अगर शी जिनपिंग से मिलते हैं तो दुनिया में यह संदेश जाएगा कि दोनों ही देशों के बीच हालात सामान्य हैं। क्योंकि 5 साल पहले जब डोकलाम विवाद के दौरान भारत-चीन संबंध बेहद कड़वे हो चुके थे तब जुलाई 2017 में एक शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी-जिनपिंग की बेहद संक्षिप्त बातचीत को गतिरोध तोड़ने के रूप में देखा गया। हालांकि भारत ने इससे सबक भी लिया। इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी जब नई दिल्ली आए थे तो भारत ने बहुत अनिच्छा से उनका स्वागत किया था।