September 25, 2024

‘पैलिएटिव केयर’ को राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम का हिस्सा बनाने संबंधी याचिका पर केंद्र से जवाब तलब

0

नई दिल्ली

 उच्चतम न्यायालय ने असाध्य रोग से पीड़ित मरीजों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 'पैलिएटिव केयर' (रोग के लक्षणों को काबू करने संबंधी एवं पीड़ानाशक उपचार) मुहैया कराने का प्राधिकारियों को निर्देश देने संबंधी जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय में पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी की इन दलीलों पर गौर किया कि 'पैलिएटिव केयर' को राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए और इसे मान्यता दी चाहिए।

न्यायालय ने बेंगलुरु निवासी राजश्री नागराजू की जनहित याचिका (पीआईएल) में शामिल इस अनुरोध से, हालांकि, सहमति नहीं जताई कि 'पैलिएटिव केयर' प्राप्त करने के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा) के तहत स्वास्थ्य के अधिकार का एक हिस्सा घोषित किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ''आप इस बात पर परमादेश (एक रिट) चाहते हैं कि 'पैलिएटिव केयर' अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आती है। मुझे नहीं लगता कि आपको यह अनुरोध करने की आवश्यकता है। 'पैलिएटिव केयर' का अधिकार स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार का हिस्सा है… अनुच्छेद 21 मानव अस्तित्व के सभी पहलुओं को शामिल करता है।''

पीठ ने याचिका को ''उचित'' बताते हुए केंद्र से आठ सप्ताह में जवाब देने को कहा। उसने केंद्र से देश में 'पैलिएटिव केयर' पर मौजूदा नीति की जानकारी देते हुए एक व्यापक जवाब दाखिल करने को कहा। कोठारी ने कहा कि इस समय देश में एक से दो प्रतिशत रोगियों को 'पैलिएटिव केयर' मिलती है।

जनहित याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया गया है। गंभीर और असाध्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए विशेष चिकित्सा देखभाल को 'पैलिएटिव केयर' कहते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *