Bengaluru Water Crisis: पानी की फिजूल खर्ची पर लगेगा 5 हजार का जुर्माना… जल संकट से जूझ रहे बेंगलुरु में नया फरमान
बेंगलुरु
गर्मी के पहले ही जलसंकट से जूझ रहे कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में नया फरमान जारी किया गया है. एजेंसी के मुताबिक अगर बेंगलुरु में कोई कार वॉश करते, गार्डनिंग करते, कंस्ट्रक्शन करते, रोड का कंस्ट्रक्शन और मेंटेनेंस करते या वाटर फाउंटेन का इस्तेमाल करते हुए मिलता है तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. कार्रवाई के तहत फरमान का उल्लंघन करने वाले शख्स को 5 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा.
दरअसल, पानी की किल्लत के बावजूद बेंगलुरु की कुछ हाउसिंग सोसाइटी में पानी के दुरुपयोग के मामले सामने आए थे. तब वहां के निवासियों पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का नोटिस जारी किया गया था. हालांकि, अब इसे लेकर आदेश ही जारी कर दिए गए हैं. कर्नाटक वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड ने अपने आदेश में 5 हजार के जुर्माने की बात कही है.
बता दें कि हाईटेक शहर बेंगलुरु इन दिनों जलसंकट से जूझ रहा है. आलम ये है कि मुख्यमंत्री आवास में भी पानी की किल्लत की बात सामने आ चुकी है. यहां 5 फरवरी को पानी के टैंकर्स को आते-जाते देखा गया है. इसके अलावा लाखों लोग बूंद-बूंद पानी के मोतहाज हैं. सोसायटियों और कॉलोनियों में पानी की बड़ी किल्लत है. टैंकरों से पानी मंगाया जा रहा है. बावजूद इसके पानी की कमी पूरी नहीं हो पा रही है.
पहले जिस 1000 लीटर पानी के टैंकर की कीमत 600-800 रुपये के बीच थी। वही, अब 2,000 रुपये से ज्यादा हो गई है। इसने कोरोना महामारी के समय ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत की याद दिला दी है। उस वक्त अचानक हजारों रुपये में ऑक्सीजन सिलेंडर बिकने लगा था। लोग अपनी जान बचाने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार थे। बेंगलुरु में ऐसी स्थिति से लोग परेशान हैं।
टैंकर रजिस्टर नहीं कराया तो होगा जब्त: डिप्टी CM
बढ़ते संकट के बीच कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्य भर के जल टैंकर मालिकों को चेतावनी जारी की है कि यदि वे 7 मार्च की समय सीमा तक अधिकारियों के पास रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं तो उनके टैंकर जब्त कर लिए जाएंगे. बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के मुख्य कार्यालय, बेंगलुरु में उन्होंने कहा कि बेंगलुरु शहर में कुल 3,500 पानी के टैंकरों में से केवल 10 प्रतिशत, यानी 219 टैंकरों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. यदि वे समय सीमा से पहले पंजीकरण नहीं कराते हैं तो सरकार उन्हें जब्त कर लेगी.
सभी विधायकों को जारी किया गया फंड
बता दें कि राज्य सरकार ने बेंगलुरु में जल संकट को दूर करने के लिए 556 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसकी जानकारी खुद डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने दी है. उन्होंने कहा,'बेंगलुरु शहर के प्रत्येक विधायक को उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में पानी की कमी को दूर करने के लिए 10 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसके अलावा, बीबीएमपी ने इस मुद्दे को हल करने के लिए 148 करोड़ रुपये और बीडब्ल्यूएसएसबी ने 128 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं. वास्तविक समय में स्थिति पर नजर रखने के लिए एक वॉर रूम स्थापित किया गया है. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) के खाली दूध टैंकरों का इस्तेमाल बेंगलुरु में पानी स्टोर करने के लिए किया जाएगा. हमने पानी की आपूर्ति के लिए उन दूध के टैंकरों का उपयोग करने का निर्णय लिया है जो उपयोग में नहीं हैं. हम उन टैंकरों का उपयोग करेंगे जो खाली हैं, उन्हें साफ करेंगे और उनका उपयोग करेंगे.'
बेंगलुरु में भीषण जल संकट क्यों?
पर्याप्त बारिश न होने के कारण कावेरी नदी के जल स्तर में काफी गिरावट आई है। इससे पेयजल आपूर्ति और कृषि सिंचाई दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इसके अलावा बोरवेलों ने स्थिति और गंभीर की है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा है – 'सभी बोरवेलों में से लगभग 3,000, सूखे हैं।'
यह कितना गंभीर है?
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस ने अपने इलाकों में पानी की राशनिंग शुरू कर दी है। वाहन धोने और स्विमिंग पूल एक्टिविटीज पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। कुछ रेजिडेंशियल एन्क्लेव ने अपने निवासियों से हाथ और मुंह धोने के लिए डिस्पोजेबल कटलरी और वेट वाइप्स का इस्तेमाल करने के बारे में कहा है। कुछ अन्य आरडब्ल्यूए ने निवासियों से पानी के दुरुपयोग पर नजर रखने के साथ सुरक्षा कर्मी तैनात किए हैं। चेतावनी दी है कि जो निवासी पानी की खपत को 20% तक कम नहीं करेंगे, उनसे अतिरिक्त 5,000 रुपये का शुल्क लिया जाएगा।
सप्लाई की स्थिति क्या है?
पिछले कुछ दिनों से बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (BWSSB) से पानी की सप्लाई व्यावहारिक रूप से बंद होने के कारण हाउसिंग सोसायटी और घर बोरवेल पर निर्भर हैं। लेकिन, शिवकुमार ने कहा, 'हमारे रिकॉर्ड में 16,781 बोरवेल में से 6,997 बोरवेल सूख गए हैं। बाकी 7,784 बोरवेल चालू हैं। सरकार नए बोरवेल खोदेगी।'
बेंगलुरु इतना सूखा क्यों?
खराब प्रबंधन: परंपरागत रूप से कावेरी और स्थानीय झीलें बेंगलुरु को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखती हैं। रिकॉर्ड बताते हैं कि 1961 तक यहां कम से कम 262 झीलें थीं। अब केवल 81 हैं। इनमें से केवल 33 को 'जीवित' के रूप में पहचाना जाता है। बाकी को शहरी फैलाव की भेंट चढ़ा दिया गया है।
कम बारिश: पिछले दो मानसून सीजन कमजोर थे। इससे कावेरी नदी में जल स्तर कम हो गया, जो बेंगलुरु की पीने और सिंचाई की जरूरतों के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत है।
घटता भूजल: बोरवेलों पर अत्यधिक निर्भरता ने बेंगलुरु में भूजल स्तर को कम कर दिया है। लगातार खराब मानसून के कारण ये बोरवेल सूख गए हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मसले: बेंगलुरु का जल आपूर्ति इंफ्रास्ट्रक्चर पुराना हो रहा है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए यह नाकाफी साबित हो रहा है।
पानी की कितनी जरूरत: बेंगलुरु को प्रतिदिन लगभग 1,850 मिलियन लीटर (एमएलडी) पानी उपलब्ध है। लेकिन, अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए कम से कम 1,680 एमएलडी और पानी की जरूरत है।