केंद्र सरकार की रूफटॉप सोलर स्कीम: क्या हैं फायदे, कितना लगेगा पैसा, यहां जानिए सबकुछ
नई दिल्ली
पूरे भारत वर्ष में पीएम सूर्य घर योजना शुरू की गई है. इसमें बिजली उपभोक्ताओं को 300 यूनिट फ्री बिजली के साथ सब्सिडी का भी लाभ दिया जाएगा. यह योजना विशेष रूप से गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार के लिए काफी लाभदायक होगी, जिसका लाभ किसान भाई भी उठा सकते हैं. इस योजना में घरों की छत पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे.
इस पर आने वाली लागत के बोझ को कम करने के मद्देनजर सरकार इस स्कीम में आवेदन करने वाले लोगों के खाते में सब्सिडी भी भेजती है, जो कि मीटर क्षमता के हिसाब से तय की गई है. इसके अलावा जो किसान 1KW का रूफटॉप सोलर लगवाना चाहते हैं, वे कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट 60 हजार रुपये खर्च करके सोलर पैनल लगवा सकते हैं, लेकिन इस पर सरकार की ओर से 30 हजार रुपये सब्सिडी मिलेगी.
केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को 'पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना' नाम से एक योजना शुरू की जिसके लिए ₹75,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इस योजना के तहत, 1 करोड़ परिवारों को अपने घरों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में मदद मिलेगी, जिससे बिजली बिल को कम करने और पर्यावरण के अनुकूल लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।
सवाल- यूजर्स को इससे कैसे फायदा मिलेगा?
जवाब– छत पर सौर पैनल लगाने से घरों को कई फायदे होंगे। यूजर को हर महीने 300 यूनिट तक की मुफ्त बिजली मिलेगी। इससे छत की क्षमता और खपत के आधार पर सालाना ₹15,000 से ₹18,000 तक की बचत होगी। ग्रामीण इलाकों में घर, खासकर बिजली के दो-तीन पहिया वाहनों/कारों के लिए चार्जिंग स्टेशन लगाकर पैसे भी कमा सकते हैं।
सवाल- सोलर स्कीम के लिए अप्लाई करने के लिए कौन योग्य है?
जवाब– इस योजना का फायदा सभी घर ले सकते हैं, लेकिन सब्सिडी सिर्फ 3 किलोवाट (kW या 3,000 वाट) क्षमता तक के छत सौर संयंत्रों के लिए ही मिलेगी। आप https://pmsuryaghar.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर आपको छत के हिसाब से लगने वाले सौर संयंत्र की उपयुक्त क्षमता और उससे होने वाले फायदों का पता लगाने में भी मदद मिलेगी।
सवाल- सब्सिडी पाने के लिए क्या शर्तें हैं?
जवाब- हां, सब्सिडी पाने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। छत पर लगने वाले सौर पैनल 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत बने होने चाहिए। पैनल लगाने का काम सरकारी मान्यता प्राप्त विक्रेता (जिनकी सूची वेबसाइट पर दी गई है) से ही कराना होगा। सब्सिडी पाने के लिए बैटरी स्टोरेज की अनुमति नहीं है।
सवाल- सब्सिडी में क्या-क्या कवर है?
जवाब– सरकारी सब्सिडी सिर्फ 3 किलोवाट क्षमता तक के छत सौर संयंत्रों के लिए ही उपलब्ध है। सब्सिडी की दरें कुछ इस प्रकार से रहेंगी।
➤ 2 किलोवाट क्षमता तक के संयंत्रों के लिए – 60%
➤ 2 और 3 किलोवाट क्षमता के बीच के संयंत्रों के लिए – 40%
अधिकतम सब्सिडी राशि:
➤ 1 किलोवाट क्षमता – ₹30000
➤ 2 किलोवाट क्षमता – ₹60000
➤ 3 किलोवाट या उससे अधिक क्षमता – ₹78000
यह सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में तब जमा की जाएगी, जब छत पर पैनल लगा दिए जाएंगे और सरकारी अधिकारियों द्वारा जांच पूरी कर ली जाएगी।
सवाल- क्या यूजर्स को भगुतान भी करना होगा?
जवाब– यूजर्स को कम से कम 40% खर्च का भुगतान करना होगा। ये वो राशि है जो सब्सिडी मिलने के बाद बचती है। केंद्र सरकार की बिजली कंपनियों को छोटे घरों (खासकर पीएम आवास योजना के तहत बने घरों) में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए छत पर सौर संयंत्र लगाने का काम सौंपा जा सकता है। ये उन परिवारों के लिए होगा जो शुरुआती निवेश करने में असमर्थ हैं। ऐसी स्थिति में सब्सिडी बिजली कंपनी को दी जाएगी, जो शुरुआती निवेश भी करेगी। यूजर शुरुआती निवेश के लिए रियायती दरों पर ऋण भी ले सकते हैं।
सवाल- नया स्कीम अलग कैसे है?
जवाब- इस नई योजना में, पुराने कार्यक्रम (मार्च 2019 में शुरू हुआ आवासीय छत सौर कार्यक्रम चरण-2) के मुकाबले ज्यादा सब्सिडी दी जा रही है। हालांकि, 13 फरवरी से पहले सब्सिडी के लिए किए गए आवेदनों को पुरानी योजना के तहत सरकारी सहायता मिलेगी।
सवाल- रूफटॉप सिस्टम की कितनी कीमत है?
जवाब– छत पर लगने वाले सौर संयंत्र की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितने सोलर पैनल लगाना चाहते हैं, उनकी क्षमता (कितने KW के हैं) कैसी है, वे किस कंपनी के हैं और उनकी कार्यक्षमता कैसी है। साथ ही, इन पैनलों को लगाने के स्टैंड और अन्य उपकरणों की गुणवत्ता भी कीमत को प्रभावित करती है। मोटे तौर पर, 1 किलोवाट क्षमता का छत सौर संयंत्र 72,000 रुपये से अधिक का हो सकता है और 3 किलोवाट का डेढ़ लाख रुपये से अधिक का।
सवाल- किस तरह के सोलर पैनल लगाने चाहिए?
जवाब– आप दो तरह के सौर पैनल लगा सकते हैं – मोनोफेशियल या बाईफेशियल पैनल। इन दोनों में से कोई भी पैनल चुनते समय उनकी Efficiency Rating पर जरूर ध्यान देना चाहिए। यही वह रेटिंग है जो बताती है कि कितनी मात्रा में सूर्य की रोशनी ऊर्जा में बदली जा रही है। दोनों तरह के पैनलों की औसत आयु 25 साल है, लेकिन इसके बाद भी ये कम मात्रा में बिजली बनाते रहते हैं।
सवाल- इसके लिए कितने पैनल की जरूरत होती है?
जवाब– 1 किलोवाट क्षमता के ज्यादातर छत सौर संयंत्रों में 3 से 4 सौर पैनल लगाए जाते हैं, जिनमें से हर एक पैनल 250 से 330 वाट का होता है। अगर आप हाई-एफिशिएंसी वाले पैनल चुनते हैं, तो आपको उतनी ही बिजली बनाने के लिए कम पैनलों की जरूरत पड़ेगी। वहीं, छत पर लगने वाले सौर संयंत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए पैनलों की संख्या भी बढ़ाई जाती है।
सवाल- बिजली उत्पादन कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
जवाब– छत पर लगे सौर पैनल बिजली बनाने का काम करते हैं। इस प्रक्रिया को 'नेट मीटरिंग' के जरिए गौर किया जाता है। इसमें, बिजली का उपभोक्ता, बिजली का उत्पादक भी बन जाता है (इन्हें 'प्रोस्यूमर' कहा जाता है)। इस व्यवस्था में, घर अतिरिक्त बिजली को वापस बिजली विभाग के ग्रिड में भेज सकता है। इसका मतलब हुआ कि आप जितनी बिजली इस्तेमाल करते हैं, उतनी ही ग्रिड से लेते हैं और जितनी बिजली बचती है, उसे ग्रिड को वापस बेच देते हैं। इससे आपके बिजली के बिल में कमी आती है।
सवाल- नेट मीटरिंग कैसे काम करता है?
जवाब- नेट मीटरिंग में दो चीजें हो सकती हैं। जब सौर ऊर्जा का उत्पादन, घर में खपत होने वाली बिजली से कम होता है। ऐसी स्थिति में घर बिजली विभाग के ग्रिड से बिजली लेगा और इस्तेमाल की गई यूनिट्स के हिसाब से ही बिल चुकाएगा। जब सौर ऊर्जा का उत्पादन, घर में खपत होने वाली बिजली से ज्यादा होता है। अतिरिक्त बिजली ग्रिड कनेक्शन के जरिए वापस बिजली विभाग के वितरण नेटवर्क में चली जाती है। बिलिंग चक्र के अंत में, यह देखा जाता है कि घर ने ग्रिड से जितनी बिजली ली है, उससे ज्यादा बिजली वापस दी है या कम दी है। इस हिसाब से, या तो घर इस्तेमाल की गई बिजली के लिए भुगतान करेगा या जितनी यूनिट वापस ग्रिड में भेजी हैं, उनके लिए भुगतान पाएगा। अगर घर ने ज्यादा बिजली वापस दी है, तो उसका ये फायदा अगले बिलिंग चक्र में भी शामिल हो सकता है।