मालदीव इस समय बना रहा है नए दोस्त, चीन के बाद तुर्की में नै डील
मालदीव
भारत से तनाव के बीच मालदीव गिन-गिनकर अपनी दोस्ती का दायरा बढ़ा रहा है। चीन से रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के बाद मुइज्जू ने इस्लामिक देश तुर्की से नई डील की है। तुर्की से नई डील में मोहम्मद मुइज्जू ने पहली बार सैन्य ड्रोन की खरीदी की है। गौर करने वाली बात यह है कि मालदीव का यह कदम भारतीय सैनिकों की वापसी से पहले आया है। मालदीव से भारतीय सैनिक 10 मई तक भारत वापस आ जाएंगे। इससे पहले मुइज्जू ने भारतीय सीमा पर निगरानी के लिए सैन्य ड्रोन खरीदे हैं। ऐसी खबरें भी हैं कि अगले सप्ताह से मालदीव इन ड्रोनों का संचालन भी शुरू कर लेगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव ने चीन से गैर-घातक हथियार प्राप्त करने के लिए एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही दिनों के भीतर हिंद महासागर में अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र पर गश्त करने के लिए तुर्की से बड़ी संख्या में ड्रोन खरीदे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीदे गए ड्रोन की सही संख्या स्पष्ट नहीं है और न ही मालदीव के रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि की गई है।
पहली बार सैन्य ड्रोन पहुंचे हैं मालदीव
शी जिनपिंग की हां में हां मिलाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन से लौटने पर संकेत दिया था कि उनकी सरकार हिन्द महासागर पर अपने आर्थिक क्षेत्र पर गश्त के लिए ड्रोन हासिल करने पर विचार कर रही है। अपने जल क्षेत्र में गश्त करने के लिए वर्तमान मालदीव सरकार ने तुर्की की एक कंपनी के साथ ड्रोन खरीदने की डील की है। ऐसा पहली बार हुआ है जब मालदीव अपने यहां पहली बार सैन्य ड्रोन लेकर आया है। ड्रोन 3 मार्च को मालदीव पहुंचाए गए थे।
मालदीव के समाचार पोर्टल Adhadhu ने मामले से जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा, ड्रोन फिलहाल नूनू माफ़ारू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हैं। पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज़ू ने सबसे पहले तुर्की का दौरा किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते दिनों संवाददाता सम्मेलन के दौरान मालदीव सरकार से सवाल किया गया था कि क्या सरकार ऐसे ड्रोन संचालित कर सकता है? समाचार पोर्टल ने कहा, "लेकिन रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने सीधे तौर पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया और कहा कि क्षमताओं को मजबूत करने के लिए काम जारी है।"
भारत के खिलाफ नई चाल तो नहीं?
जनवरी में, चीन की राजकीय यात्रा से लौटने के बाद वेलाना अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए मुइज़ू ने भारत का नाम लिए बिना अपने देश की रक्षा के बारे में कई दावे किए। यह कहते हुए कि मालदीव किसी भी देश की मदद के भरोसे नहीं है, मुइज्जू ने कहा था, “भले ही हमारे द्वीप छोटे हैं, हम नौ लाख वर्ग किलोमीटर के एक बहुत बड़े विशेष आर्थिक क्षेत्र के साथ एक विशाल देश हैं। मालदीव एक ऐसा देश है जिसके पास इस महासागर का सबसे बड़ा हिस्सा है। यह महासागर किसी देश विशेष की संपत्ति नहीं है।”