कृषि विभाग किसानों की योजनाओं को लगा रहा पलीता
डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के फैसले के बाद भी चोर दरवाजे से खरीदी
तरल क्लोरोपायरीफास दर निर्धारण टेंडर में किन कंपनियों को लाभ पहुंचाने बनाई टर्न ओवर की शर्त
प्रदेश के सभी उत्पादकों को दर निर्धारण में शामिल करे सरकार -कांग्रेस
भोपाल
मध्यप्रदेश में किसानों को लूटने के मामले में मध्य प्रदेश का प्रशासन कितने तरह के हथकंडे अपनाकर भ्रष्टाचार को पनाह दे रहा है इसका जीता जागता उदाहरण गांव- गांव और कृषि विभाग के हर दफ्तर में मौजूद है।
आपको स्मरण होगा कि कांग्रेस ने सेस्बेनिया बीज खरीदने के 110 करोड़ के घोटाले में जोर शोर से अपनी आवाज उठाई थी जिसमें ना केवल केंद्रीय सरकार जांच के लिये सक्रिय हुई बल्कि सीबीआई ने भी उसका संज्ञान लिया है।
उसी तारतम्य में एक नए घोटाले की रूपरेखा बनाई जा रही है और योजना के स्तर पर ही कांग्रेस पार्टी घोटाले का खुलासा करना चाहती है ताकि प्रदेश को हानि से बचाया जा सके। आपको यह बताना चाहते हैं कि कई दशकों से किसानों के लिए खाद बीज कीटनाशक क्रय करने का काम मध्य प्रदेश विपणन संघ करता रहा है। खरीदी किये जाने हेतु 2017 से जो निविदाएं आमंत्रित की गई थीं वे इस आधार पर निरस्त कर दी गयीं कि शासन सीधे किसान के खाते में सब्सिडी का पैसा हस्तांतरित करेगी । इसलिए मार्कफेड द्वारा खरीदी करने का और किसानों को प्रदाय करने का कोई औचित्य नहीं है। किसान जो भी खाद बीज खरीदना चाहता है वह स्वतंत्रता पूर्वक उसे स्वेच्छा से खरीदे।
एक तरफ टीवीडी याने सीधे बैंक में पैसा डालने के कारण निविदाएं निरस्त कर मार्कफेड को रास्ते से हटा दिया गया और दूसरी तरफ कुछ चुनिंदा कंपनियों से नेफेड के माध्यम से रेट कांट्रेक्ट कर सप्लाई का काम भी शुरू कर दिया गया ।
रेट कॉन्ट्रैक्ट में ऐसी शर्ते रखी गई कि मध्य प्रदेश के जो छोटे उत्पादक उद्योग हैं वे इस व्यवस्था से बाहर हो जाएं। इसी तारतम्य में अभी यह नया टेंडर एग्रो इंडस्ट्रीज विकास डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के माध्यम से जारी किया गया है। जिसमें टेंडर डालने वाली कंपनियों से ₹10 करोड़ की टर्नओवर मांगी गई है।तरल क्लोरो पायरीफास कंसंट्रेट के लिए दर निर्धारित करने के लिए यह निविदा आमंत्रित की गई है। जिसमें ₹7 लाख सुरक्षा निधि की भी शर्त लगाई गई है जबकि केंद्र सरकार के पत्र क्रमांक 22(1)/2003/EP&M दिनांक29.7. 2003 के माध्यम से समस्त प्रदेशों के सचिवों को यह सूचना दी गई है कि एमएसएमई और एस एस आई यूनिट को एमडी तथा टर्नओवर की शर्तों से बाहर रखा जाए । इस तरह की एलिजिबिलिटी शर्तों को चुनिंदा व्यवसाईयों को लाभ पहुंचाने की नीयत से किया गया है। मध्यप्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय ने भी रिट पिटिशन नंबर 5012 / 2017 को खारिज कर इस आशय की पुष्टि की थी।
विपणन संघ के प्रबंध संचालक ने भी अपने पत्र क्रमांक विपणन/8166/2022 दिनांक 24 फरवरी 2022को.संचालक कृषि को सूचित किया था कि कृषि विकास की पंचम समिति द्वरा भी टर्न ओवर की शर्त को विलोपित करने का आग्रह किया है तथा मार्कफेड को इससे मुक्त रखने का आग्रह किया है।
किंतु कतिपय चुनिंदा कंपनियों से साठगांठ कर बदनीयती से ऐसे दर निर्धारण के रास्ते पर कृषि विभाग बढ़ रहा है जिससे प्रदेश की रोजगारोन्मुखी ईकाईयां तो बंद हो ही जायेंगी तथा भ्रष्टाचार की नदी में तेज बहाव आ जायेगा।
कांग्रेस मांग करती है कि सरकार जांच करवाये कि विपणन संघ और नेफेड की निर्धारित दरों में कितना अंतर है। सरकार बताये कि 18 जून 2020 को आमंत्रित निविदायें अगले दिन 19जून 2020को ही क्यों निरस्त कीं गईं।जबकि 27.5.17 की बैठक में पारदर्शी पूर्ण टेंडर बुलाने मार्कफेड को निर्देशित किया गया था।
पिछली सरकारों के केबिनेट फैसलों मे यह निर्णय लिया गया था कि एम.पी.एग्रो किसानों के लिये उपकरण खरीदी का काम करेगा एवं विपणन संघ खाद एवं कीटनाशक तथा बीज निगम उन्नत/प्रमाणित बीजों का। कृषि विभाग ने अनियमितता करने के लिये न केवल इस फैसले को पलट दिया बल्किचोर दरवाजे से डीबीटी(डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर)लागू होने के बावजूद खरीद और सप्लाई के टेंडर बुला लिये। यह और भी बड़ी अनियमितता है क्योंकि दर निर्धारण का कोई भी फैसला बिना एपीसी(कृषि उत्पादन आयुक्त) की अनुमति के यह नहीं किया जा सकता।भ्रष्टाचार की पूर्व तैयारी की प्रतीती के ये टेंडर निरस्त कर न्यूतम दरों के आधार पर मध्यप्रदेश के समस्त उत्पादकों को अवसर दिया जाना चाहिये।नीति अनुसार कीटनाशक क्रय करने हेतु विपणन संघ को नोडल एजेंसी बनाया जावे।
एक तरफ सरकार रोजगार के लिये नये उद्यम लगाने का दावा कर रही है दूसरी तरफ भ्रष्ट अधिकारी ऐसी शर्तें लगाकर लगे लगाये उद्यम बंद कराने का काम कर रहे हैं।