September 28, 2024

सांवले रंग के लिए अनु अग्रवाल को मिलते थे ताने

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मुंबई

फिल्म आशिकी फेम एक्ट्रेस अनु अग्रवाल 90 के दशक की चर्चित एक्ट्रेसेस में से एक थीं। अनु ने अपने फिल्मी करियर और स्ट्रगल के दिनों के बारे में खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री में उन्हें सांवले रंग को लेकर बहुत क्रिटिसाइज किया जाता था। इतना ही नहीं, उन्हें मुंबई में 6 महीने के अंदर 10 बार पीजी बदलना पड़ा था। अनु को कई बार रातोंरात पीजी से बाहर निकाल दिया जाता था।

फिल्म आशिकी से लोगों को दीवाना बनाने वाली अनु का कहना है कि वो जल्द ही फिल्मों में वापसी करने वाली हैं। अनु अग्रवाल ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि वो पेरिस में रहा करती थीं। किसी काम से वो मुंबई आई थीं। महेश भट्ट से मुलाकात होने पर उन्होंने अनु से कहा- मैंने तुम्हारे लिए स्क्रिप्ट लिखी है। अनु फिल्मों में करियर बनाने के लिए तैयार नहीं थीं। लेकिन महेश भट्ट ने उनसे कहा कि ये रोल तुम्हारे अलावा कोई और नहीं कर सकता है। महेश भट्ट की ये बात सुनकर वो फिल्म करने के लिए तैयार हो गईं। अनु ने कहा- मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये फिल्म इतनी सक्सेसफुल साबित होगी। मुझे कभी भी स्टार या सुपरस्टार बनने की चाहत नहीं थीं। लेकिन ये फिल्म करने के बाद उनका इंटरेस्ट एक्टिंग में आ गया था। आशिकी के दौरान का दर्दनाक किस्सा सुनाते हुए अनु ने बताया कि सेट पर लोग उन्हें देखकर कई तरह की बातें करते थे। कुछ लोग उनकी लंबाई पर तो कुछ लोग उनके सांवले रंग को लेकर क्रिटिसाइज करते थे, वहीं कुछ लोग सुपरमॉडल है बोलकर ताना भी मारते थे।

अनु अग्रवाल को केवल फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी काफी जिल्लत सहनी पड़ी थी। उन्होंने बताया कि मैं एक पीजी में रहने गई थी। पीजी की ओनर को मेरा चेहरा पसंद नहीं आया, तो उन्होंने मुझे पीजी छोड़ने के लिए कह दिया था। कई बार तो अनु को रातोंरात पीजी से निकलने के लिए कह दिया गया था। ये समस्या झेलते हुए उन्होंने 6 महीने में 10 पीजी बदला था। अनु बताती हैं कि वो अपने दो बैग हमेशा तैयार रखती थीं। पीजी से निकलने के लिए कहे जाने पर वो अपना बैग उठाकर चल देती थीं। एक्ट्रेस ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि वो दिन मेरे लिए बहुत ही मुश्किल भरे थे। अनु ने कहा- जहां मैं रहती थी वहां बहुत से लोग फिल्म के आॅफर लेकर आते थे। सुबह से मीडिया आ जाती थी। हर रोज लोगों की तादाद इतनी ज्यादा होती थी कि घर के मकान मालिक मुझे निकल जाने के लिए कह देते थे।

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