देशभर में लागू हुई आदर्श आचार संहिता, अगर की ये गलती तो आप भी जा सकते हैं जेल
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी होते ही चुनाव आयोग का मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आदर्श आचार संहिता लागू हो गया है. इसके तहत देशभर में अभियान चलाकर सियासी दलों के होर्डिंग, बैनर, पोस्टर उतारे जाएंगे. यही नहीं, सरकारी योजनाओं के होर्डिंग भी उतार दिए जाएंगे. आचार संहिता उल्लंघन की जानकारी सीधे चुनाव आयोग को की जा सकती है. आयोग तेज रफ्तार से इस पर कार्रवाई करेगा. बता दें कि जहां एक तरफ आचार संहिता को लेकर लोगों में जानकारी की कमी का फायदा उठाकर सरकारी अधिकारी काम करने से इनकार कर देते हैं. वहीं, लोगों में भी ये गलत धारणा है कि आचार संहिता सिर्फ राजनीतिक दलों और नेताओं पर लागू होती है. अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो सावधान हो जाएं.
राजनीतिक दल या नेता ही नहीं, अगर आम आदमी भी आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसे भी जेल की हवा खानी पड़ सकती है. हालांकि, आपका ये जानना बेहद जरूरी है कि इस दौरान सभी सरकारी कामकाज बंद नहीं होते हैं. लिहाजा, अगर कोई सरकारी अधिकारी आपके काम को करने से इनकार कर देता है तो आपको पता होना चाहिए कि नियम क्या कहते हैं. बता दें कि आपकी जिंदगी से जुड़े जरूरी काम आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सूरत में बंद नहीं होंगे. जानते हैं कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद आप क्या कर सकते हैं और आपको क्या नहीं करना चाहिए.
कौन-से काम आचार संहिता लागू होने के बाद भी नहीं रुकेंगे
आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी आप अपनी पेंशन बनवाने के लिए सरकारी कार्यालय जा सकते हैं. कोई भी अधिकारी इसके लिए मना नहीं कर सकता है. वहीं, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र बनाने क काम भी इस दौरान जारी रहेगा. बिजली-पानी, साफ-सफाई से जुड़े काम सुचारू तौर पर होते रहेंगे. वहीं, आप इलाज के लिए आर्थिक सहयोग लेने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र रहेंगे. प्रशासन को सड़कों की मरम्मत का काम जारी रखना होगा. इसके अलावा किसी भी चालू परियोजना पर रोक नहीं लगेगी. आचार संहिता का बहाना बनाकर कोई अधिकारी आपके ये जरूरी काम नहीं टाल सकता है. अगर आपने मकान के नक्शे के लिए पहले ही आवेदन दे दिया है तो वो पास होगा. हालांकि, इसके लिए नए आवेदन नहीं लिए जाएंगे.
आदर्श आचार संहिता में कौन से काम रहेंगे पूरी तरह बंद
चुनावों की तारीख का ऐलान होने और आचार संहिता लागू होते ही कोई भी नेता या अधिकारी सार्वजनिक उद्घाटन या शिलान्यास नहीं कर सकता है. इसके साथ ही नए कामों की स्वीकृति भी नहीं दी जा सकेगी. जिन क्षेत्रों में आचार संहिता लागू होगी, वहां सरकार की उपलब्धियों के होर्डिंग्स नहीं लगेंगे. वहीं, पहले से लगे होर्डिंग्स हटा दिए जाएंगे. संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में शासकीय दौरे नहीं होंगे. सरकारी वाहनों में सायरन नहीं लगाए जाएंगे. सरकारी भवनों में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री और राजनीतिक हस्तियों के फोटो लगाने पर रोक रहेगी. कोई भी व्यक्ति या नेता सरकार की उपलब्धियों वाले विज्ञापन प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और दूसरे मीडिया में नहीं दे सकेगा. इस दौरान आम लोग भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने समय सावधानी बरतें. आपकी एक पोस्ट आपको जेल भेजने के लिए काफी है. कोई भी मैसेज शेयर करने या लिखने से पहले आचार संहिता के नियम पढ़ लें.
किन मामलों में आम आदमी को भी हो सकती है जेल
अगर कोई आम आदमी भी इन तमाम नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उस पर भी आदर्श आचार संहिता के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी. सीधे शब्दों में कहें तो अगर आप अपने किसी नेता के प्रचार अभियान से जुड़े हैं तो आपको इन नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा. अगर कोई राजनेता आपको इन नियमों के खिलाफ काम करने को कहता है तो आप उसे आचार संहिता के बारे में बताकर ऐसा करने से इनकार कर सकते हैं. अगर आपने आचार संहिता का उल्लंघन करने वाला कोई भी काम किया तो आपके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी. ज्यादातर मामलों में आपको हिरासत में लिया जा सकता है.
उम्मीदवार-पार्टियों के लिए नियम, कब हो सकती है जेल
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार मतदाताओं को लुभाने वाली कोई भी घोषणा नहीं कर सकती है. राज्यों में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं. बता दें कि आचार संहिता चुनाव आयोग के बनाए नियम हैं, जिनका पालन हर पार्टी और हर प्रत्याशी को करना जरूरी होता है. इनका उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है. प्रत्याशी के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है. एफआईआर दर्ज करवाने के बाद उम्मीदवार को जेल भी भेजा जा सकता है.
सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं नेता
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कोई भी मंत्री सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है. सरकारी संसाधनों का किसी भी तरह चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. यहां तक कि कोई भी सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों और भवनों का चुनाव प्रचार या चुनावी दौरों में इस्तेमाल नहीं कर सकता. केंद्र सरकार और काई भी राज्य सरकार न तो कोई घोषणा कर सकती है, न शिलान्यास और न ही लोकार्पण कर सकती है. सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं किया जाता है, जिससे किसी भी दल को फायदा पहुंचता हो. इस पर निगरानी के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है.
कोई भी नेता आम आदमी को परेशान नहीं कर सकता है
हर प्रत्याशी और राजनीतिक दल को जुलूस, रैली, जनसभा या बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी. इसकी जानकारी नजदीकी थाने को भी देनी होगी. सभा की जगह और समय की जानकारी पहले से पुलिस अधिकारियों को देनी होगी. कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसा काम नहीं कर सकती, जिससे जाति, धर्म या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद या घृणा फैले. वोट पाने के लिए किसी भी तरीके से घूस देना, मतदाताओं को परेशान करना प्रत्याशियों और पार्टियों को भारी पड़ सकता है. यही नहीं, अगर कोई नेता किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणियां करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है.
वोटिंग से 24 घंटे पहले और मतदान वाले दिन के नियम
मतदान के दिन मतदान केंद्र से 100 मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार पर रोक रहेगी. मतदान से एक दिन पहले यानी 24 घंटे पहले से किसी भी तरह की बैठक पर रोक रहेगी. पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोई सरकारी भर्ती नहीं होगी. चुनाव के दौरान माना जाता है कि प्रत्याशी शराब बांटते हैं. लिहाजा, वोटर्स को शराब बांटना भी आचार संहिता में मना है. चुनाव अभियान के लिए रोड शो, रैलियों या किसी दूसरी वजह से यातायात में रुकावट आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है. चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों के आसपास चुनाव चिह्नों का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. केवल चुनाव आयोग से वैध ‘गेट पास’ पाने वाले व्यक्ति ही मतदान बूथ पर जा पाएंगे.
सार्वजनिक जगहों का सभी प्रत्याशी कर सकते हैं इस्तेमाल
हेलीपैड, मीटिंग ग्राउंड, बंगले, सरकारी गेस्ट हाउस जैसी सार्वजनिक जगहों पर कुछ प्रत्याशी एकाधिकार नहीं जमा सकते हैं. इन जगहों को प्रतिस्पर्धी प्रत्याशी समान रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं. आचार संहिता कहती है कि प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों और उनके प्रचारकों को अपने प्रतिद्वंद्वियों के जीवन का सम्मान करना चाहिए. उनके घरों के सामने रोड शो या प्रदर्शन आयोजित करके उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए. मतदान पर्यवेक्षकों के पास मतदान में किसी भी मुद्दे की शिकायत दर्ज की जा सकती है.