मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर कुल 4 चरण में मतदान होगा, MP के हर संभाग में मुद्दों की भरमार
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है। देश भर में कुल 7 चरण में 19 अप्रैल से 1 जून तक चुनाव संपन्न होगा। मतगणना 4 जून को होगी। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर कुल 4 चरण में मतदान होगा। इलेक्शन की तारीखों के ऐलान के बाद सूबे में सियासी पारा हाई हो गया है। प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और भाजपा विकास, रोजगार समेत तमाम स्थानीय मुद्दों पर सियासी समीकरण साधने में जुट गई हैं। सूबे में दोनों पार्टियों का फोकस विकास और रोजगार के मुद्दे पर है। एकतरफ भाजपा सरकारी योजनाओं और स्कीमों के जरिए विकास के दावे ठोंक रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस रोजगार के मुद्दे पर भाजपा को लगातर घेरने की कोशिश कर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा का दबदबा रहा था और कुल 29 में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस केवल अपना गढ़ छिंदवाड़ा बचा पाने में ही कामयाब हुई थी।
भाजपा ने सभी 29 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस ने अब तक 10 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है। MP की कुल 29 लोकसभा सीटों में से पांच अनुसूचित जनजाति के लिए और चार अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा जहां क्लीन स्वीप का टारगेट लेकर चल रही है, वहीं कांग्रेस अपने वादों के दम पर सीटों का ग्राफ बढ़ाने की कवायद में जुटी हुई है। नेशनल और राज्य स्तर के मुद्दों के अलावा सूबे के सभी 6 संभागों में अलग-अलग मुद्दे सियासी तूल पकड़ रहे हैं। आइये जानते हैं कि मध्य प्रदेश के हर संभाग में इस बार फैक्टर कौन-कौन से हैं जिनका सियासी असर पड़ने वाला है।क्षेत्रीय विभाजन के आधार पर, मध्य प्रदेश को 6 संभागों में बांटा जाता है- ग्वालियर-चंबल, सेंट्रल एमपी (भोपाल), मालवा-निमाड़, महाकोशल, विंध्य और बुंदेलखंड। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में सबसे ज्यादा आठ लोकसभा सीटें हैं। विकास और आर्थिक तरक्की के आधार पर हर संभाग के सियासी मुद्दे भी अलग-अलग हैं।
1. ग्वालियर-चंबल
कभी डकैतों से प्रभावित माना जाने वाला यह क्षेत्र अब विकास की ओर छलांग लगा चुका है। भाजपा सरकार ने पिछले साल उत्तर प्रदेश के आगरा से जोड़ने वाले एक एक्सप्रेसवे को मंजूरी दी थी। वहीं, कूनो नेशनल पार्क में चीतों को लाया गया है। विशेष रूप से पर्यटन क्षेत्र में, रोजगार के रास्ते भी खोल दिए हैं। गुना इस क्षेत्र के प्रमुख लोकसभा क्षेत्रों में से एक है जहां से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है। कांग्रेस के बेहद करीबी रहे सिंधिया मार्च 2020 में BJP में शामिल हो गए थे। इस अंचल की अन्य सीटें मुरैना, भिंड (एससी) और ग्वालियर हैं। बीते दिनों, ग्वालियर एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्घाटन भी किया गया है। सत्तासीन भाजपा दावा कर रही है कि इस क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। हालांकि, लोगों की आमदनी और रोजगार के मुद्दे को कांग्रेस जमकर उठा रही है। खासकर इस अंचल में बड़ी संख्या में युवा आर्मी में भर्ती होने की तैयारी करते हैं। बीते दिनों न्याय यात्रा के दौरान ग्वालियर में राहुल गांधी ने युवाओं और रिटायर्ड सैनिकों से मुलाकात की थी और अग्निवीर योजना को लेकर भाजपा पर जमकर हमला बोला था।
2. मध्य क्षेत्र (भोपाल)
इस क्षेत्र में राज्य की राजधानी भोपाल और नर्मदापुरम सहित इसके आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। झीलों के शहर के नाम से मशहूर भोपाल, विश्व धरोहर स्थलों – सांची और भीमबेटका रॉक शेल्टरों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र में पांच लोकसभा सीटें शामिल हैं – भोपाल, विदिशा, राजगढ़, बैतूल (एसटी) और नर्मदापुरम। भाजपा ने इस बार भोपाल से अपनी मौजूदा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काटकर पूर्व महापौर आलोक शर्मा को मैदान में उतारा है। वहीं, विदिशा में BJP ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है, जो पहले भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। विकास और रोजगार उन प्रमुख मुद्दों में से हैं जो इस क्षेत्र में चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों इस क्षेत्र में विकास की राजनीति पर केंद्रित नजर आई हैं। इसके अलावा राजधानी के आस-पास का क्षेत्र शामिल होने के चलते मुद्दे कमोबेश सूबे की सियासत से जुड़े हुए ही है।
3. मालवा-निमाड़
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीट इसी संभाग में हैं। इस क्षेत्र में आठ लोकसभा सीटें – इंदौर, देवास (एससी), उज्जैन (एससी), मंदसौर, खंडवा, खरगोन (एसटी), रतलाम (एसटी) और धार (एसटी) शामिल हैं। इस संभाग में बड़ी संख्या में लोग कृषि गतिविधियों पर आश्रित हैं। इसके अलावा खरगोन, रतलाम और धार के तीन प्रमुख आदिवासी क्षेत्र भी हैं। MP की वाणिज्यिक राजधानी और देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर भी है, प्रमुख सर्राफा व्यापार केंद्र रतलाम और उज्जैन और ओंकारेश्वर के प्रसिद्ध 'ज्योतिर्लिंग' इस क्षेत्र में आते हैं। रोजगार और विकास के मुद्दों के साथ ही साथ इस बार चुनाव में किसानों, आदिवासियों, रोजगार और मजदूरों के प्रवास से संबंधित मुद्दे हावी रहने की संभावना है। बीजेपी ने इंदौर से अपने मौजूदा सांसद शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है।
4. बुंदेलखंड
गरीबी का दंश झेल रहा यह क्षेत्र प्रसिद्ध पन्ना हीरे की खदानें, विश्व धरोहर स्थल खजुराहो और पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए फेमस है। केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को मंजूरी देना एक कदम है जिसका उद्देश्य क्षेत्र में पानी की कमी, विशेषकर सिंचाई सुविधाओं की समस्या का समाधान करना है। इस क्षेत्र में चार लोकसभा सीटें शामिल हैं – सागर, दमोह, टीकमगढ़ (एससी) और खजुराहो। भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद वी डी शर्मा को खजुराहो से दूसरी बार टिकट दिया है और टीकमगढ़ से केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र में विकास और गरीबी का मुद्दा लोकसभा चुनाव में उलटफेर कर सकता है। केंद्र और सूबे में भाजपा की सरकार होने के बावजूद इस क्षेत्र के व्यापक विकास न होने को लेकर कांग्रेस घेराव करती रही है। स्थानीयों का कहना है कि इस क्षेत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
5. महाकोशल
यह क्षेत्र पूर्व सीएम कमल नाथ का गढ़ माना जाता है, जिनके बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा से मौजूदा सांसद हैं। महाकोशल में आठ जिले- जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट शामिल हैं। स्थानीय निवासी क्षेत्र के पिछड़ेपन पर शिकायत करते हुए कहते हैं कि जबलपुर विकास के मामले में एक समय रायपुर (छत्तीसगढ़) और नागपुर (महाराष्ट्र) से बहुत आगे था, लेकिन अब यह शहर इंदौर और भोपाल से भी पीछे है। मंडला और शहडोल आदिवासी बहुल जिले हैं, जबकि बालाघाट इस क्षेत्र में नक्सलवाद से प्रभावित है। इस क्षेत्र की पांच लोकसभा सीटें हैं – जबलपुर, मंडला (एसटी), शहडोल (एसटी), बालाघाट और छिंदवाड़ा। मंडला से बीजेपी ने मौजूदा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने नकुल नाथ को छिंदवाड़ा से फिर से उम्मीदवार बनाया है, इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता कमल नाथ नौ बार कर चुके हैं।
6. विंध्य
उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा यह क्षेत्र मध्य प्रदेश के नौ पूर्वी जिलों- रीवा, शहडोल, सतना, सीधी, सिंगरौली, अनुपपुर, उमरिया, मैहर और मऊगंज में फैला हुआ है। इस क्षेत्र ने 1991 में मध्य प्रदेश से बहुजन समाज पार्टी के लिए पहला लोकसभा सदस्य चुना और चुनावी राजनीति में में कम्युनिस्टों को भी प्रतिनिधित्व दिया था। इसमें तीन लोकसभा सीटें शामिल हैं – सतना, रीवा और सीधी। इस क्षेत्र में मेडिकल सुविधाओं की कमी अहम मुद्दा है। वहीं, विकास और पर्यावरण का मुद्दा भी महत्वपूर्ण फैक्टर है।