ब्लड के लिए जेपी और हमीदिया के चक्कर काट रहीं प्रसूताएं
भोपाल
काटजू अस्पताल में आनन-फानन में मेटरनिटी वार्ड तो शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन यहां हाल-बेहाल हैं। आलम यह है कि काटजू में मेडिकल विशेषज्ञ नहीं हंै। आईसीसीयू नहीं है। इंटरवेंशनिस्ट नहीं है। ब्लड बैंक नहीं है। नतीजतन मरीज हमीदिया रेफर हो रहे हंै। केन्द्र सरकार की आईपीएसएस गाइडलाइन के अनुसार जिला अस्पताल में प्रसव सुविधा होना जरूरी है। इस गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए काटजू अस्पताल को टर्शरी केयर बनाकर यहां जेपी अस्पताल में सभी स्त्री रोग विशेषज्ञ का ट्रांसफर कर दिया गया।
जिला अस्पताल का गायनी यूनिट खत्म कर इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। गौरतलब है कि काटजू में रोजाना 1500 प्रसूताएं पहुंच रही हैं। जेपी अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर की भाभी अशोका गार्डन निवासी अनीता पत्नी संजय कुशवाहा की सीजेरियन डिलीवरी काटजू अस्पताल में की गई। ब्लड की कमी के चलते वह रोजाना जेपी अस्पताल के चक्कर काटती थीं। इसके बाद ज्यादा ब्लीडिंग होने से मामला क्रिटिकल हो गया। इसके चलते जेपी से ही डॉ. आभा जैसानी को एक्सपर्ट ओपिनियन के लिए बुलाया गया। इसके बावजूद मामला नहीं संभला तो शाम 4.50 पर प्रसूता को निजी अस्पताल रेफर करना पड़ा।
प्रसूताओं की जान आफत में
जिला अस्पताल की तरह यहां ब्लड बैंक यूनिट और एक्सपर्ट डॉक्टर जैसे एमडी मेडिसिन, एनेस्थिसिया और अन्य डॉक्टर नहीं हैं, जो सीजेरियन डिलीवरी बिगड़ने पर मामले को संभाल सकें। नतीजतन महिलाओं का बीपी बढ़ रहा है।
इधर, जेपी में अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, 12 मेडिकल आॅफिसर की मांग
जेपी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है। करीबन एक दर्जन मेडिकल आॅफिसर की मांग की गई है। हाल ही में पीएस विवेक पोरवाल ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने मेटरनिटी, एसएनसीयू, रसोई, वार्ड, दवा कक्ष, ओपीडी, डिलीवरी रूम, वैक्सीन सेंटर, लेबर रूम, इमरजेंसी वार्ड, समेत अन्य स्थानों का भ्रमण किया। इसके अलावा उन्होंने बायोमेडिकल वेस्ट, रेडियोलॉजी से संबंधित लाइसेंस, एसओपी, पानी की जांच, स्टाफ की मेडिकल जांच से संबंधित सभी जानकारियां भी प्रबंधन से मांगी। उन्होंने प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि अस्पताल में ऐसी व्यवस्थाएं की जाएं जिससे मरीजों को कम समय में बेहतर सुविधाएं मिले। प्रबंधन द्वारा अस्पताल में 12 मेडिकल आॅफिसर की अतिरिक्त जरूरत की जानकारी दी गई। जिसपर उन्होंने जल्द यह कमी पूरी करने की बात कही। यही नहीं डेढ़ घंटे चले इस दौरे के दौरान सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने अस्पताल की ग्रोथ और मौजूद व्यवस्था के संबंध में प्रजेंटेशन भी दिया है।