November 24, 2024

इसी रणनीति के तहत बीजेपी ने कटे 100 सांसदों के टिकट, अभी और बाकी

0

नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने अब तक 405 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। इस तरह करीब 90 फीसदी सीटों पर पार्टी ने कैंडिडेट उतार दिए हैं और इनमें से करीब 100 सांसद अब तक ऐसे हैं, जिनका पत्ता साफ हो चुका है। इससे पहले 2019 में भी भाजपा की यही रणनीति थी और 99 सांसदों को दोबारा मौका नहीं मिला था। इस बार यह संख्या थोड़ी और अधिक हो सकती है। अब तक वरुण गांधी, अनंत कुमार हेगड़े, वीके सिंह, मीनाक्षी लेखी, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सदानंद गौड़ा, रमेश बिधूड़ी, गौतम गंभीर, हर्षवर्धन समेत कई नामी लोगों के भी टिकट कट चुके हैं।

यही नहीं अब चर्चा है कि इलाहाबाद से रीता बहुगुणा जोशी को मौका नहीं मिलेगा। इसके अलावा कैसरगंज लोकसभा सीट से बृजभूषण शरण सिंह को हटाया जा सकता है। माना जा रहा है कि भाजपा की यह त्रिसूत्रीय रणनीति है, जिसके तहत कैंडिडेट नहीं बल्कि पीएम मोदी, उनकी स्कीमों और भाजपा के चुनाव चिह्न कमल पर फोकस करना है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों भाजपा के कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि हमारा उम्मीदवार सिर्फ कमल है। सभी कार्यकर्ताओं को मिलकर कमल को जिताने के लिए काम करना है। इससे साफ हो गया था कि भाजपा नेतृत्व इस बार किसी को भी बदल सकता है और किसी को भी उतारा जा सकता है।

अब तक घोषित 398 प्रत्याशियों में 66 महिलाओं को मैदान में उतारा जा चुका है। जबकि पिछले चुनाव में 436 उम्मीदवारों में सिर्फ 55 ही महिलाएं थीं। लगभग सौ नए चेहरे लाना भी पार्टी की दूरगामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। अनेक मौजूदा सांसदों के टिकट कटने के बावजूद पहले जैसी बगावत के सुर कहीं से सुनने को नहीं मिल रहे हैं।

दिल्ली के लुटियंस जोन में राजनीति के जानकारों का मानना है कि ये बदलाव जारी रहने वाले हैं। रणनीति यह दिखाने की भी है कि पार्टी चुनाव जीत रही है। पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं का मानना है कि चुनाव में वोट प्रत्याशी के नाम पर नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ मोदी के नाम पर ही पड़ेंगे, तो फिर चिंता किस बात की।

इसी रणनीति के तहत भाजपा ने एक तरफ बंगाल में संदेशखाली की पीड़िता को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं यूपी के मेरठ से अरुण गोविल और हिमाचल की मंडी से कंगना रनौत कैंडिडेट बनी हैं। यही नहीं कभी मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान विदिशा से कैंडिडेट बने हैं और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर करनाल सीट से उम्मीदवार बने हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ऐंटी-इनकम्बैंसी से बचने के लिए उम्मीदवार बदले जा रहे हैं। इसके अलावा कैंपेन का पूरा फोकस पीएम नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार की बनी योजनाओं और कमल सिंबल पर है।

दूसरे दलों से आए नेताओं को कमजोर सीटों पर मौका

इसके अलावा भाजपा माहौल बनाने के लिए कठिन राज्यों में मंत्रियों तक को उतार रही है, जो अब तक राज्यसभा में जाते रहे हैं। इन लोगों में राजीव चंद्रशेखर, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव हैं। बड़े नेताओं के लोकसभा चुनाव में उतरने से एक तरफ पार्टी का माहौल बनेगा तो वहीं कठिन सीटों पर जीत की भी संभावना बनेगी। एक रणनीति यह भी है कि उन सीटों पर दूसरे दलों के नेताओं को उतारा जाए, जहां संभावना थोड़ी कमजोर है। ऐसे नेताओं में नवीन जिंदल, अशोक तंवर, जितिन प्रसाद जैसे चेहरे शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *