November 24, 2024

अमेरिका डिफॉल्टर बनने के नजदीक ! कर्ज का स्तर हुआ खतरनाक, 52 में से 51 देश हो चुके दिवालिया

0

वॉशिंगटन
 दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश अमेरिका पर डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। देश की डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 124 परसेंट पहुंच गया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 1800 के बाद 52 देशों का डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 130 परसेंट से अधिक हुआ है। इनमें से 51 देश डिफॉल्टर हो गए थे। यही वजह है कि अमेरिका में भी तेजी से बढ़ रहे कर्ज पर चिंता जताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि नियर टर्म में अमेरिका के डिफॉल्टर होने का खतरा नहीं है लेकिन अगर इस स्थिति को नजरअंदाज किया गया तो इसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। देश का कर्ज 34 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच गया है। हालत यह हो गई है कि इस साल अमेरिका को एक ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है।

अमेरिका का कर्ज पिछले 24 साल में छह गुना बढ़ गया है। साल 2000 में अमेरिका पर 5.7 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था जो अब 34 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच गया है। साल 2010 में यह 12.3 ट्रिलियन डॉलर और 2020 में 23.2 ट्रिलियन डॉलर था। यूएस कांग्रेस के बजट दस्तावेजों के मुताबिक अगले दशक तक देश का कर्ज 54 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है। पिछले तीन महीने में ही इसमें एक ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का इजाफा हुआ है और यह देश की जीडीपी का करीब 124% है। पिछले तीन साल में ही देश का कर्ज 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक बढ़ चुका है। अमेरिका को रोज 1.8 अरब डॉलर ब्याज के भुगतान में खर्च करने पड़ रहे हैं। साफ है कि सरकार की कमाई कम हो रही है और खर्च बढ़ गया है। एनालिस्ट्स के कहना है कि यह देश की इकॉनमी और नेशनल सिक्योरिटी के लिए अच्छी बात नहीं है।

कर्ज में डूबे देश

आशंका जताई जा रही है कि माना जा रहा है कि अगले कुछ साल में अमेरिका का डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 200 परसेंट तक पहुंच सकता है। मतलब देश का कर्ज जीडीपी से दोगुना पहुंच जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाते-चुकाते ही अमेरिका की इकॉनमी का दम निकल जाएगा। इससे देश की सरकार को रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा पर होने वाले कुल खर्च से ज्यादा पैसा ब्याज चुकाने में देना होगा। अमेरिका का कर्ज ऐसे वक्त बढ़ रहा है जब देश की इकॉनमी अच्छी स्थिति में है और बेरोजगारी कम है। अमूमन जब इकॉनमी कमजोर होती है तो सरकार खर्च बढ़ाती है ताकि ग्रोथ को हवा दी जा सके। लेकिन यहां तो उल्टी स्थिति है।

पिछले साल अगस्त में फिच ने अमेरिका के सॉवरेन डेट की रेटिंग AA+ से घटाकर AAA कर दी थी। इसके बाद नवंबर में मूडीज ने चेतावनी दी थी कि वह अमेरिका की AAA में कटौती कर सकता है। पिछले साल जून में अमेरिका डिफॉल्ट की दहलीज पर पहुंच गया था। अगर दुनिया में सबसे ज्यादा डेट-टु-जीडीपी रेश्यो की बात करें तो इस मामले में जापान पहले नंबर पर है। वहां डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 269% है। यूरोपीय देश ग्रीस दूसरे नंबर पर है। इसका डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 197 परसेंट है। इसके बाद सिंगापुर (165%) और इटली (135%) का नंबर है। पुर्तगाल, फ्रांस, स्पेन और बेल्जियम उन देशों में शामिल हैं जिनका डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 100 परसेंट से अधिक है। यानी इन देशों का कर्ज उनके जीडीपी से अधिक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *