November 23, 2024

पत्नी को ‘भूत-पिशाच’ कहना क्रूरता नहीं, पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दी पति की सजा

0

पटना.

पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में कहा है कि पति द्वारा अपनी पत्नी को भूत-पिशाच कहना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए पति की सजा रद्द करते हुए उसे बड़ी राहत दी है। जस्टिस बिबेक चौधरी की सिंगल बेंच ने पति-पत्नी के झगड़े और दहेज उत्पीड़ने से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वैवाहिक संबंधों में, खासकर असफल वैवाहिक संबंधों में, ऐसी घटनाएं होती हैं जहां पति और पत्नी दोनों एक-दूसरे के साथ गंदी भाषा का प्रयोग करते हैं और एक-दूसरे से गाली-गलौज करते हैं। इसलिए, ऐसे आरोप क्रूरता के दायरे में नहीं आ सकते हैं।

इसके साथ ही जस्टिस बिबेक चौधरी ने आईपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 4 के तहत एक पति को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को रद्द कर दिया। नालंदा जिले की अदालत के अतिरिक्त न्यायाधीश ने इस मामले में आरोपी पति को दोषी करार दिया था। उसके बाद नालंदा की सीजेएम कोर्ट ने भी उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसे पीड़ित ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने मामले में प्रतिवादी पत्नी के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि उसने पति की यातना के बारे में अपने पिता को कई चिट्ठी लिखकर इसकी शिकायत की थी। जब अदालत ने इस के सबूत मांगे तो प्रतिवादी उसे नहीं पेश कर सकी। कोर्ट ने दहेज के मामले में भी महिला के उस आरोप को खारिज कर दिया कि उसके पति ने दहेज में कार की मांग की थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी पति और उसके परिजनों पर लगाए गए आरोप विशिष्ट नहीं हैं।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत दर्ज मामला दोनों पक्षों के बीच व्यक्तिगत झगड़े, द्वेष और मतभेद का परिणाम था। कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *