November 25, 2024

लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार के क्षेत्रीय दलों के साथ ही तीन पार्टियों के प्रमुखों की साख भी दांव पर लगी

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नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार के क्षेत्रीय दलों के साथ ही उनके प्रमुखों की साख भी दांव पर लगी है। खास तौर से तीन क्षेत्रीय पार्टियों के सुप्रीमो की प्रतिष्ठा दांव पर है। हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी चुनाव मैदान में हैं। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान मैदान में तीसरी बार ताल ठोंक रहे हैं। मांझी और कुशवाहा के लिए जहां अखाड़ा पुराना ही है वहीं चिराग ने अपना लोकसभा क्षेत्र जमुई से बदलकर हाजीपुर चुन लिया है।

खास बात यह है कि तीनों ही प्रत्याशी घटक दल के जीते हुए उम्मीदवारों की जगह टिकट प्राप्त कर मैदान में आए हैं। टिकट कटने के बाद काराकाट के सीटिंग सांसद महाबली सिंह और गया के सांसद विजय मांझी की खामोशी भी इनके सामने है। अलबत्ता पशुपति पारस ने चिराग पासवान को समर्थन देने की बात कह राहत जरूर दी है। उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के दलों को एनडीए गठबंधन में एक-एक ही सीट मिली है और इन दोनों ने खुद ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

उधर, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास को 5 सीटें एनडीए ने दी है। चिराग ने खुद को छोड़ चार और प्रत्याशियों को मौका दिया है। हालांकि इसमें उनके अलावा एकमात्र वर्तमान सांसद वीणा देवी को उतारा है। शेष तीन उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। बुधवार को ही इनके दल के डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों ने चिराग पर परिवारवाद का आरोप लगाया है। यही आरोप मांझी पर भी लगता रहा है।

हालांकि मांझी, कुशवाहा और चिराग राज्य के अनुभवी तथा मान्य राजनेता हैं। अपने-अपने दलों में सुप्रीमो होना इनके पक्ष में जाता है। वहीं हम के संरक्षक सह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी गया (सुरक्षित) सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पहले भी जीतन राम मांझी गया से कई बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है। हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। हम एक सीट पर ही चुनाव लड़ रही है और उस पर पार्टी के संरक्षक खुद चुनावी मैदान में हैं।

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 में एनडीए के बैनर तले उपेन्द्र कुशवाहा काराकाट से सांसद रह चुके हैं। लेकिन 2019 में महागठबंधन के बैनर तले उपेंद्र कुशवाहा को उजियारपुर और काराकाट, दोनों ही सीटों से हार का सामना करना पड़ा था। एक बार फिर एनडीए के बैनर तले कुशवाहा काराकाट से चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं। एनडीए में आरएलएम को मात्र एक सीट मिली है और उस पर पार्टी सुप्रीमो खुद चुनाव लड़ रहे हैं।
 
राज्य के तीन अन्य प्रमुख दलों बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष भले ही चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं लेकिन इस बार उनके नेतृत्व की भी परीक्षा है। पिछली बार लोकसभा चुनाव के समय जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह थे। अभी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा हैं। पिछली बार पार्टी 17 में से 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

इसी तरह पिछले लोकसभा चुनाव में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे थे। अभी पार्टी की कमान जगदानंद सिंह के हाथों में है। पिछली बार आरजेडी का खाता तक नहीं खुला था। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय थे। अभी उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पार्टी के हाथों में बिहार भाजपा की कमान है। पिछली बार पार्टी 17 में से सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस तरह राज्य के तीनों प्रमुख दलों के प्रदेश अध्यक्षों के नेतृत्व की भी अग्निपरीक्षा है कि इस बार वे पार्टी को कितनी सीट दिला पाते हैं।

 

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