November 27, 2024

US में कम हो रहा धर्म का असर, मुसलमान भी छोड़ रहे मजहब; एक अच्छी बात

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वॉशिंगटन

अमेरिका में पब्लिक लाइफ में धर्म का असर लगातार कम हो रहा है। करीब 80 फीसदी अमेरिकी ऐसा मानते हैं और उनका कहना है कि सार्वजनिक जीवन में धर्म का प्रभाव घटा है। प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। यह पहला मौका है, जब अमेरिका में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का कहना है कि धर्म का असर कम हो रहा है। हालांकि एक बात और है कि ये लोग मानते हैं कि धर्म का असर कम हो रहा है, लेकिन यह अच्छी बात नहीं है। वहीं महज 8 फीसदी अमेरिकी वयस्क ही मानते हैं कि धर्म का असर बढ़ रहा है और यह अच्छी चीज है।

इस सर्वे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर भी सवाल पूछा गया कि क्या ये लोग धर्म के प्रभाव में हैं। इस पर 13 फीसदी लोगों ने माना कि जो बाइडेन पर धर्म का गहरा प्रभाव है। वहीं महज 4 पर्सेंट लोग ही मानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप पर ईसाई मत का कोई प्रभाव है। कुल मिलाकर इस सर्वे से साफ हुआ कि अमेरिका में अब धर्म का असर सार्वजनिक जीवन में तेजी से कम हो रहा है। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि ईसाई मत के अलावा अन्य धर्मों में भी यह असर दिख रहा है कि उन्हें मानने वाले सार्वजनिक तौर पर धर्म का प्रदर्शन नहीं करना चाहते।

अमेरिका को लेकर एक सर्वे वर्ष 2017 में भी हुआ था। इसमें दावा किया गया था करीब 23 फीसदी अमेरिकी मुसलमान ऐसे हैं, जो अपने मजहब से नाता तोड़ रहे हैं। इसे एक्स मुस्लिम मूवमेंट भी कहा जा रहा है। इसके अलावा 22 फीसदी ईसाई ऐसे हैं, जो अपने पंथ से ताल्लुक नहीं रखना चाहते। हालांकि एक अहम बात यह है कि यदि 23 फीसदी अमेरिकी मुसलमान मजहब से दूर हो रहे हैं तो दूसरे धर्मों से मतांतरित होकर इस्लाम में आने वाले लोगों की संख्या भी 23 फीसदी के करीब ही है। इस तरह इस्लाम छोड़ने और उससे जुड़ने वाले लोगों की संख्या समान है।

सबसे बड़ा नुकसान ईसाई धर्म को दिखता है। उसके 22 फीसदी अनुयायी ईसाईयत से दूर जा रहे हैं तो ऐसे महज 6 पर्सेंट लोग ही हैं, जो किसी और धर्म से मतांतरित होकर ईसाई बन रहे हैं। इससे पहले 2014 में भी एक सर्वे हुआ था, जिसमें 24 फीसदी मुसलमानों का कहना था कि अब वे इस्लाम से दूर हैं। वे मुसलमान के तौर पर पैदा तो हुए थे, लेकिन अब वे अपनी पहचान पूर्व-मुस्लिम के तौर पर देखते हैं। गौरतलब है कि एक्स-मुस्लिम मूवमेंट उन लोगों का एक आंदोलन है, जो अब इस्लाम से दूर होकर नास्तिक बन रहे हैं। इसका असर भारत के केरल में भी दिखता है। वहां भी ऐसे कई मामले आए हैं, जहां इस्लाम को लोगों ने छोड़ दिया। अब वे खुद को किसी भी मजहब से नहीं जोड़ते।

 

 

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