November 25, 2024

जाने कब है गणगौर पूजा? जानें मुहूर्त, महिलाएं पति से छिपाकर क्यों करती व्रत-पूजा

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गणगौर पूजा हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है. उस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं, पूजा करती हैं. इस व्रत की विशेषता यह है कि महिलाएं इसे गुप्त रूप से करती हैं. वे अपने पति को व्रत और पूजा के बारे में नहीं बताती हैं. यह व्रत और पूजा पति को बिना बताए की जाती है. गणगौर का व्रत और पूजन अविवाहित युवतियां भी करती हैं ताकि उनको मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो सके. इस बार गणगौर के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं. गणगौर पूजा कब है? गणगौर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

कब है गणगौर पूजा 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया ति​थि 10 अप्रैल को शाम 05 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 11 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो इस साल गणगौर पूजा 11 अप्रैल दिन गुरुवार को होगी.

 

गणगौर पूजा पर बनेंगे 3 शुभ योग
11 अप्रैल को गणगौर पूजा के दिन रवि योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग बना है. रवि योग प्रात:काल में 06:00 एएम से अगले दिन 12 अप्रैल को 01:38 एएम तक है. वहीं, प्रीति योग सुबह 07:19 एएम तक है और उसके बाद से आयुष्मान योग लगेगा. जो 12 अप्रैल को प्रात: 04:30 एएम तक रहेगा. फिर सौभाग्य योग बनेगा.

गणगौर पूजा 2024 शुभ चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य: 06:06 एएम से 07:41 एएम तक
लाभ-उन्नति: 07:41 एएम से 09:15 एएम तक
अमृत-सर्वोत्तम: 09:15 एएम से 10:49 एएम तक
शुभ-उत्तम: 12:24 पीएम से 01:58 पीएम तक
चर-सामान्य: 05:07 पीएम से 06:41 पीएम तक

महिलाएं छिपाकर क्यों करती हैं गणगौर व्रत और पूजा?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए व्रत और पूजा की. लेकिन वो भोलेनाथ से इसके बारे में बताना नहीं चाहती थीं. शिव जी ने काफी प्रयास किया कि वे बता दें, लेकिन माता पार्वती ने उस बारे में कोई बात नहीं की. वे गुप्त रूप से वह व्रत करना चाहती थीं.

इस वजह से हर साल महिलाएं गणगौर व्रत और पूजा अपने पति से छिपाकर करती हैं. यहां तक कि इस व्रत और पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को भी पति को खाने को नहीं देती हैं.

गणगौर पूजा
गणगौर का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है. गण का अर्थ​ शिव और गौर का अर्थ गौरी है. इसलिए इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. शिव और गौरी की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य एवं सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है.

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