September 25, 2024

राजस्व : कलेक्टर्स हायर कर सकेंगे कूरियर कंपनी, प्राइवेट एजेंसी के लिए नियम तय

0

भोपाल
प्रदेश के राजस्व मंडल में नियुक्त मंडल के पीठासीन अधिकारी, कमिश्नर, अपर कमिश्नर, कलेक्टर, अपर कलेक्टर , राजस्व अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार तक राजस्व न्यायालयों में आए आवेदनों को प्रतिवादी द्वारा जवाब न मिलने के आधार पर खारिज नहीं कर सकेंगे। इसके लिए सरकार नोटिस तामीली की व्यवस्था में बदलाव कर रही है। रेवेन्यु कोर्ट के नोटिस अब निजी कंपनी द्वारा तामील कराए जाएंगे। निजी कंपनी को तय करने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर को सौंपी जाएगी।

प्रदेश के राजस्व न्यायालयों में दर्ज होने वाले प्रकरणों को राजस्व मंडल के सदस्य, संभागायुक्त, कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार अब सुनवाई किए बगैर खारिज नहीं कर सकेंगे। इन राजस्व न्यायालयों से लाखों आवेदन इसलिए खारिज हो जाते हैं कि उसकी तामीली समय पर नहीं हो पाती और दूसरा पक्ष अपना जवाब देने के लिए हाजिर नहीं हो पाता। इसके लिए राजस्व विभाग एक नई व्यवस्था लागू करने जा रहा है। सरकार द्वारा इसके लिए नियम बनाए जा रहे हैं और इसके बाद कलेक्टर जिलों में एक प्राइवेट एजेंसी इसके लिए हायर कर सकेंगे।

हर साल आते हैं 30 लाख आवेदन
राजस्व न्यायालय के अधीन आने वाले कोर्ट में हर साल तीस लाख आवेदन आते हैं। इसमें से 21 लाख आवेदन ऐसे होते हैं जिसमें नोटिस जारी करने की स्थिति बनती है। इसमें से करीब सवा लाख आवेदन ही ऐसे होते हैं जिसमें नोटिस पाने वाले पक्षकारों की संख्या दो या अधिक होती है।

और लाखों हो जाते हैं खारिज
राजस्व विभाग के संज्ञान में आया है कि आवेदनों के निराकरण के दौरान लाखों आवेदन महीनों तक पेंडिंग रखने के बाद इसलिए खारिज कर दिए जाते हैं क्योंकि उसे प्रतिवादी तक पहुंचाने में देर होती है और वह पेंडिंग रहता है। इसलिए अब इस पर रोक लगाने की तैयारी है ताकि न्याय के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति का समय और धन बेकार न जाए और उसे न्याय मिल सके।

प्राइवेट एजेंसी के लिए नियम तय
राजस्व विभाग ने नोटिस तामील करने के लिए तय किए नियमों में कहा गया है कि भविष्य में कोरियर एजेंसी की सेवा इसके लिए ली जा सकती है। कलेक्टरों को एजेंसी तय करने के अधिकार दिए जाएंगे। नोटिस वितरण का अधिकार पाने वाली कोरियर एजेंसी जिला मुख्यालय में तो नोटिस सीधे सर्व कर देगी लेकिन तहसील मुख्यालय के अंतर्गत आने वाले गांवों में नोटिस जारी करने के लिए वह अपने अधिकृत डीलर को ई मेल के जरिये नोटिस भेजेगी। स्थानीय डीलर नोटिस की तामीली कराने के बाद ई मेल के जरिये ही उसकी जानकारी न्यायालय को भेज देगा। इसके बाद नोटिस की हार्ड कापी अलग से पक्षकार को देने का काम होता रहेगा और आवेदन खारिज होने की स्थिति नहीं बनेगी।

और ये खर्च का गणित
विभागीय सूत्रों का कहना है कि रेवेन्यू कोर्ट में आवेदन लगाने वालों से हर आवेदन पर सौ रुपए की फीस तय है। यह पिछले साल करीब 14 करोड़ रुपए तक पहुंची थी। इस साल आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है। विभाग का मानना है कि अगर किसी प्राइवेट एजेंसी को नोटिस तामील की जिम्मेदारी सौंपी गई तो आठ करोड़ रुपए खर्च आएगा। ऐसे में सरकार को नुकसान भी नहीं होगा और नोटिस भी तामील हो जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *