November 28, 2024

ईरान के परमाणु ठिकानों पर इजरायल के हमले को लेकर IAEA अलर्ट

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तेलअवीव

इजरायल पर ईरान के हवाई हमलों के बाद से मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर पहुंच गया है. ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ 300 मिसाइल और ड्रोन अटैक किए थे. इस बीच खबर है कि इजरायल जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है और ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बना सकता है. कहा जा रहा है कि इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने वॉर कैबिनेट की बैठक में ईरान पर हमले की प्लानिंग पर चर्चा की.

इजरायल की वॉर कैबिनेट ने ईरान पर जवाबी हमला करने का समर्थन किया है, लेकिन ये हमला कब और कैसे होगा, इसे लेकर राय बंटी हुई है. लेकिन सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि इजरायल किसी भी वक्त ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बना सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के कई परमाणु ठिकाने इजरायल के निशाने पर है. इनमें नतांज, इस्फहान, अराक, फोरहदो और बुस्हर जैसे परमाणु ठिकाने प्रमुख हैं. कहा जा रहा है कि इजरायल की कोशिश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को डीरेल करने की है. इसी वजह से वह ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बना सकता है.

वहीं, इजरायल के इस संभावित हमले को लेकर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) अलर्ट पर है. आईएईए के महानिदेशक राफेल ग्रोसी का कहना है कि वह ईरान के परमाणु ठिकानों पर संभावित हमले को लेकर चिंतित हैं. ईरान ने हालांकि एहतियात के तौर पर अपनी परमाणु इकाइयों को बंद कर दिया था. लेकिन सोमवार को इन्हें दोबारा खोला गया.

उन्होंने कहा कि मैं आपको बता दूं कि ईरान की सरकार ने हमें इस अंदेशे के बारे में सूचित किया है, जिस वजह से अलर्ट बना हुआ है. इन परमाणु केंद्रों को बंद कर दिया गया था. लेकिन इन्हें दोबारा खोला गया. आईएईए लगातार ईरानी परमाणु केंद्रों पर नजर बनाए हुए है.

हमले के 24 घंटे के भीतर वॉर कैबिनेट की दूसरी बैठक

ईरान के हमले के बाद 24 घंटे से भी कम समय के भीतर इजरायली पीएम नेतन्याहू ने अपने वॉर कैबिनेट की दूसरी बार बैठक बुलाई. इस दौरान इजरायली सेना के चीफ ऑफ स्टाफ हेरजी हलेवी ने कहा कि हम इसका जवाब देंगे. हम पर हवाई हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.

इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान भी कह चुके हैं कि ईरान ने सभी सीमाएं लांघ दी है और इजरायल के पास पूरा हक है कि वह इसका जवाब दे. हम सिर्फ शोर-शराबा मचाने वाले देश नहीं हैं. हम साहसी हैं. इजरायल पर इस तरह का सीधा हमला होने के बाद हम चुप नहीं बैठेंगे. हम अपने भविष्य को बचाएंगे.

वॉर कैबिनेट क्या है?

पिछले साल सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद इजरायल में 'यूनिटी गवर्नमेंट' बनी थी. इस सरकार में विपक्षी नेता भी शामिल थे. इस सरकार के गठन की अहम शर्तों में से एक 'वॉर कैबिनेट' बनाने की शर्त भी थी. इस कैबिनेट का मकसद गाजा में हमास के खिलाफ जंग की रणनीति तैयार करना था. वॉर कैबिनेट में तीन सदस्य अहम हैं. इनमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षा मंत्री योआव गैलांट, विपक्षी पार्टी के नेता बैनी गैंट्ज हैं. इनके अलावा गैडी आईसेनकोट और रॉन डर्मर को बतौर ऑब्जर्वर शामिल किया गया है.

वॉर कैबिनेट का काम क्या है?

हमास के जंग के बाद बनी वॉर कैबिनेट का अहम काम युद्ध की रणनीति तय करना है. वॉर कैबिनेट में कुल पांच सदस्य हैं, लेकिन बाकी मंत्री और सेना से जुड़े अहम लोग भी वॉर कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा लेते हैं. वैसे तो इजरायली संविधान में अभी ऐसा कोई कानून नहीं है, जो वॉर कैबिनेट के अधिकारों को परिभाषित करता हो. लेकिन इसके बावजूद वॉर कैबिनेट काफी अहम है. यही तय करती है कि हमला कब और कैसे होगा. अगर सीजफायर भी करना है, तो उसके लिए वॉर कैबिनेट की मंजूरी लेना जरूरी होगी.

जब ईरान ने इजरायल पर दागी मिसाइलें

बता दें कि ईरान ने 13 अप्रैल की आधीरात को इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन अटैक किए थे. ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा अलग-अलग तरह के ड्रोन हमले किए थे, जिनमें किलर ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइलें शामिल थी. इस हमले के तुरंत बाद इजरायली सेना ने एयर डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट कर दिया था.

इजराली सेना IDF के प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने बताया था कि ईरान ने इजरायल पर सीधे हमला किया है. इजरायल ने एरो एरियल डिफेंस सिस्टम के जरिए इन अधिकतर मिसाइलों को मार गिराया है. कहा गया कि इजरायल ने ईरान के 99 फीसदी हवाई हमलों को विफल कर दिया था. इस हमले के बाद अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई देश इजरायल की मदद को आगे आए थे.

ईरान ने इजरायल पर क्यों किया था हमला?

एक अप्रैल को सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया गया था. इस हमले में ईरान ने अपने एक टॉप कमांडर सहित कई सैन्य अधिकारियों की मौत का दावा किया गया था. ईरान ने इस हमले के लिए सीधे तौर पर इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था. यही वजह है कि उसने बदला लेने के लिए इजरायल पर ताबड़तोड़ हमले किए और इस कार्रवाई को ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस का नाम दिया था.

ईरान का कहना है कि उसने 'ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस' इसलिए कोडनेम दिया है ताकि वो अपने दोस्तों और दुश्मनों को बता सके कि वो जो भी कहता है उस पर अमल करता है. वो सच्चा वादा करना जानता है. जो वादा करता है उसे निभाता है.

 

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