September 28, 2024

कच्चा तेल 91 डॉलर प्रति बैरल के करीब, पेट्रोल-डीजल की कीमत स्थिर

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कच्चा तेल 91 डॉलर प्रति बैरल के करीब, पेट्रोल-डीजल की कीमत स्थिर

'कूलिंग' उपकरणों के लिए फ्लिपकार्ट की वार्षिक बिक्री 17 अप्रैल से होगी शुरू

सरकार ने कच्चे तेल पर बढ़ाया अप्रत्याशित कर

नई दिल्ली
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव जारी है। ब्रेंट क्रूड का मूल्य 91 डॉलर और डब्ल्यूटीआई क्रूड 86 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस विपणन कंपनियों ने मंगलवार को पेट्रोल-डीजल के मूल्य में कोई फेरबदल नहीं किया है।

इंडियन ऑयल की वेबसाइट के मुताबिक, दिल्ली में पेट्रोल 94.72 रुपये, डीजल 87.62 रुपये, मुंबई में पेट्रोल 104.21 रुपये, डीजल 92.15 रुपये, कोलकाता में पेट्रोल 103.94 रुपये, डीजल 90.76 रुपये, चेन्नई में पेट्रोल 100.75 रुपये और डीजल 92.34 रुपये प्रति लीटर की दर पर उपलब्ध है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस सप्ताह के दूसरे दिन शुरुआती कारोबार में ब्रेंड क्रूड 0.70 डॉलर यानी 0.78 फीसदी की बढ़त के साथ 90.80 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेंड कर रहा है। इसी तरह वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड भी 0.72 डॉलर यानी 0.84 फीसदी उछलकर 86.13 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।

 

'कूलिंग' उपकरणों के लिए फ्लिपकार्ट की वार्षिक बिक्री 17 अप्रैल से होगी शुरू

नई दिल्ली,
 ऑनलाइन बिक्री मंच फ्लिपकार्ट 17 अप्रैल से 23 अप्रैल तक 'कूलिंग' उपकरणों पर वार्षिक ग्रीष्मकालीन बिक्री आयोजित करेगा। इसमें एयर कंडीशनर (एसी), रेफ्रिजरेटर, एयर कूलर, पंखे जैसे घरेलू उपकरण किफायती दामों पर बेचे जाएंगे।

फ्लिपकार्ट ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ई-वाणिज्य मंच 'सुपर कूलिंग डेज़ 2024' का छठा संस्करण ला रहा है। इसमें ग्राहकों को गर्मी से राहत देने के लिए घरेलू उपकरणों को किफायती दामों में बेचा जाएगा। बिक्री को बढ़ावा देने के लिए भुगतान के भी विभिन्न विकल्प पेश किए जाएंगे।

बयान के अनुसार, बिना किसी शुल्क के मासिक किस्त, अग्रिम भुगतान, उत्पाद मिलने के बाद भुगतान (कैश ऑन डिलीवरी) और 'फ्लिपकार्ट पे लेटर ईएमआई' आदि विकल्प उपलब्ध होंगे।

सरकार ने कच्चे तेल पर बढ़ाया अप्रत्याशित कर

नई दिल्ली
सरकार ने मंगलवार से कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर 6,800 रुपये से बढ़ाकर 9,600 रुपये प्रति मीट्रिक टन कर दिया। इससे तेल अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड को घाटा हो सकता है। लेकिन सरकार को गरीबों के लिए अपनी सामाजिक कल्याण योजनाओं को संचालित करने व अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए अधिक संसाधन मिलेगा। सरकार ने पिछले साल जुलाई में कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर लगाया था और गैसोलीन, डीजल और विमानन ईंधन के निर्यात पर लेवी बढ़ा दी थी, क्योंकि निजी रिफाइनरों ने घरेलू बाजार में बिक्री के बजाय विदेशी बाजारों में रिफाइनिंग मार्जिन से लाभ कमाना शुरू कर दिया था।

 

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