November 28, 2024

3 मई से 118 किलोमीटर लंबी पंचकोसी यात्रा शुरू होगी, यह है धार्मिक महत्‍व

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 उज्जैन
 परंपरा और धार्मिक विश्वास से जुड़ी 118 किलोमीटर लंबी पंचकोसी यात्रा अगले माह 3 मई से प्रारंभ होगी। इसमें एक लाख से अधिक लोगों के शामिल होने का अनुमान लगाया गया है। तैयारियों को लेकर प्रशासन मुस्तैद है। इसी कड़ी में मंगलवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ यात्रा मार्ग एवं पड़ाव स्थलों का निरीक्षण किया। तेज गर्मी के मद्देनजर सभी पड़ाव स्थलों पर छाया, स्वच्छता, पेयजल, अस्थायी शौचालय एवं चिकित्सा की उत्तम व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

मार्गों पर खड़े बिजली के खंभों के झूलते तार देख उन्हें दुरस्त करने को कहा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत रखना, पड़ाव स्थलों पर अस्थाई चिकित्सा केंद्र बनाना। इन केंद्र में उपचार के लिए बिस्तर और आवश्यक दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता रखना। नगर निगम के अधिकारी को त्रिवेणी स्थित नवग्रह शनि मंदिर घाट की सफाई एवं पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करने को कहा। जल संसाधन विभाग को जल आपूर्ती के निर्देश दिए।

यात्रा में सहयोग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं से चर्चा कर व्यवस्थाओं की जानकारी ली। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बिजली, क्षतिग्रस्त पुल की समस्या बताई। कलेक्टर ने समस्या के निराकरण के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किया। ग्राम पंचायत नलवा के सामाजिक कार्यकर्ता ने कलेक्टर से कहा कि पड़ाव स्थलों पर शौचालयों की व्यवस्था का स्थायी समाधान कराएं। इस पर कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ सुलभ काम्प्लेक्स बनवाने के निर्देश दिए।

स्कंद पुराण में यात्रा का वर्णन

स्कंद पुराण के अवंति खंड में पंचकोसी यात्रा का वर्णन मिलता है। कहा गया है कि वैशाख मास में कृष्ण पक्ष की दशमी से अमावस्या तक पंचकोशी यात्रा का विधान है। उज्जैन का आकार चोकोर है और इसके मध्य में भगवान महाकाल हैं। इनके चार द्वारपाल के रूप में पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरूणेशवर, पश्चिम में बिल्केश्वर और उत्तर में दुर्दुरेश्वर स्थापित हैं, जो 84 महादेव मंदिर की श्रृंखला के अंतिम चार मंदिर हैं। यात्रा अनादिकाल से प्रचलित है, जिसे सम्राट विक्रमादित्य ने प्रोत्साहित किया था। ये 14वीं शताब्दी से अबाध होती आ रही है। यात्रा वैशाख कृष्ण दशमी पर शिप्रा स्नान कर नागचंद्रेश्वर के पूजन उपरांत प्रारंभ होती है और 118 किमी की परिक्रमा कर कर्कराज मंदिर पर दर्शन उपरांत समाप्त होती है।

पड़ाव स्थलों पर ये भी रहेगी व्यवस्था

– बाजार भाव से खाद्य सामग्री मिलेगी।

– कला पथक दल के कलाकार सांस्कृतिक प्रस्तुतियाें के माध्यम से मनोरंजन करेंगे।

– यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए सीसीटीवी कैमरे लगेंगे और पुलिस बल तैनात रहेगा।

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