November 27, 2024

आपराधिक जांच पर रोक लगाने की याचिका में शिकायतकर्ताओं को भी पक्षकार बनाएं रामदेव: उच्चतम न्यायालय

0

नई दिल्ली
 उच्चतम न्यायालय ने योग गुरु रामदेव से अपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका में  उन शिकायतकर्ताओं को भी पक्षकार बनाने को कहा, जिन्होंने कोविड महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ मामले दर्ज कराये थे।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की पटना और रायपुर इकाई ने 2021 में शिकायत दर्ज कराई थी कि रामदेव की टिप्पणियों से कोविड नियंत्रण व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका थी।

न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति पी. बी. वराले की पीठ रामदेव की अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उसने कहा कि रामदेव को मामले में राहत पाने के लिए शिकायतकर्ताओं को पक्षकार बनाने की जरूरत है।

पीठ ने रामदेव को शिकायतकर्ताओं को पक्षकार बनाने की छूट दी और मामले में आगे की सुनवाई शीर्ष अदालत की ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बाद के लिए स्थगित कर दी। अदालत की ग्रीष्मकालीन छुट्टियां 20 मई से शुरू होंगी। बिहार सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए।

न्यायालय ने कोविड महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ की गईं रामदेव की कथित टिप्पणियों को लेकर दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों के संबंध में कार्यवाहियों पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका पर केंद्र, बिहार एवं छत्तीसगढ़ की सरकारों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को पिछले साल नौ अक्टूबर को नोटिस जारी किया था।

रामदेव की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा था कि उनके मुवक्किल ने 2021 में बयान दिया था कि वह एलोपैथिक दवाओं में भरोसा नहीं करते, जिस पर कुछ चिकित्सकों ने आपत्ति जताई और उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए।

रामदेव ने अंतरिम राहत के तौर पर उनके खिलाफ आपराधिक शिकायतों संबंधी जांच पर रोक लगाए जाने का अनुरोध किया है।

वैश्विक महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ रामदेव की टिप्पणी पर आईएमए ने बिहार और छत्तीसगढ़ में शिकायत दर्ज कराई थी।

योगगुरु के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

रामदेव के बयानों ने एलोपैथी बनाम आयुर्वेद पर देशव्यापी बहस छेड़ दी थी। उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से पत्र मिलने के बाद अपने बयान को वापस ले लिया था। हर्षवर्धन ने रामदेव की टिप्पणियों को ''अनुचित'' कहा था।

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने भी इस मामले में उसे एक पक्ष बनाने की अनुमति मांगी है। उसने आरोप लगाया है कि रामदेव ने एलोपैथी का अपमान किया और लोगों को टीकों एवं उपचार संबंधी प्रोटोकॉल की अवहेलना करने के लिए ''उकसाया''।

डीएमए ने दावा किया है कि रामदेव की औद्योगिक इकाई 'पतंजलि' ने 'कोरोनिल किट' बेचकर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक कमाए, जबकि सक्षम प्राधिकारी ने इसे मंजूरी नहीं दी थी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *