जैविक खेती के माध्यम से फसलों की पैदावार अधिक होती है: जैविक कृषि विशेषज्ञ
डिंडोरी/शहपुरा
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष व जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू लगातार जिले व क्षेत्र के कृषकों को जैविक खेती करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं,साथ ही गांव गांव जाकर कृषकों को जैविक खेती करने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।ज्ञात हो कि बिहारी लाल साहू स्वयं अपने खेत में भी जैविक खेती करते हैं जिसमें खरीफ की फसल में जैविक पद्धति से बीजोपचार कर धान की नर्सरी रखकर 16 दिनों में रोपाई की गई है,और रोपाई में 1 से 2 पौधे ही लगाए गए थे,जिसमें मात्र 70 दिनों में ही धान की फसल 3 से 3.5 फिट की हो चुकी है तथा धान के 1-2 पौधे में से 20 से 21 शाखाएं आ चुकी है।इस प्रकार धान की उत्तम फसल देखने को मिल रही है।
गौ कृपा अमृतम् का प्रयोग किया आज
गौकृपा अमृत बैक्टीरिया कल्चर बनाने की विधि।खेती के लिए वरदान मित्र सूक्ष्म जीवाणु,सबसे पहले 200 लीटर की साफ ड्रम लेंगे और 1 लीटर गौकृपा अमृत डालेंगे,2 लीटर देशी गाय की छाछ (मठ्ठा) लेंगे तथा 2 किलो गुड़ को घोलकर डाल देंगे और पूरे 200 लीटर पानी में मिलाएंगे। ड्रम के मुंह को जूट के बोरा या सूती कपड़े से ढक देंगे।इसके उपरांत 6 दिनों तक सुबह शाम 1 से 2 मिनट दंड डालकर हिलाएंगे यह तरल खाद बनकर तैयार हो जाएगा।सूक्ष्म जीवों की मात्रा बढ़ेगी,पोषक तत्त्व मिलेगा फसल की ग्रोथ बढे़गी तो फसल की पैदावार भी अच्छी होगी और बाहरी कीड़ों को नियंत्रण करेगा,रसायन मुक्त रहेगा,इस खाद को 8-8 दिनों के अंतराल में उपयोग कर सकते हैं भूमि से सुधार होगी।
जिसके फलस्वरूप विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी जैविक धान की अधिक उत्पादन होगा।अतः इसी तरह सभी कृषक भी जैविक कृषि को अपनाकर फसल की अधिक पैदावार ले सकते है,भूमि को उपजाऊ एवं सुधार मिलेगी और मानव जीवन भी स्वस्थ रहेगा,व सभी किसान बंधुओ से जैविक खेती करने से अपील की गई।