पितृ पक्ष का आरंभ 10 सितंबर से ,जाने श्राद्ध तिथि, महत्व, विधि
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष का आरंभ 10 सितंबर 2022 से माना जा रहा है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। इस साल यह तिथि 10 सितंबर से आरंभ होकर 25 सितंबर तक रहेगी। पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होते हैं और आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होते हैं।
पितृपक्ष के अगले दिन से नवरात्रि प्रारंभ-
पितृ पक्ष समापन के अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ हो रहे हैं।
पितृ पक्ष का महत्व-
पितृ पक्ष में किसी भी शुभ कार्यों की मनाही होती है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में खुशी का कोई काम करने से पितरों की आत्मा को कष्ट पहुंचता है। पितृ पक्ष में पितरों से निमित्त पिंडदान की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध न करने से पितरों की आत्मा तृप्त नहीं होती है। पितृ तर्पण से प्रसन्न होकर अपने परिजनों को सुखी व संपन्न रहने का आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष में किस दिन करना करें पितर पूजन-
भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या यानी सोलह दिनों को पितृ पक्ष कहा जाता है। जिस तिथि को माता-पिता का देहांत होता है, उस तिथि को पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है।
पितृ पक्ष में पिंडदान में किस देवता की करते हैं पूजा-
पितृ पक्ष में पिंडदान व श्राद्ध कर्म हेतु भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से प्रेत से पितृ योनी में जाने का रास्ता खुल जाता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पितृ पक्ष में कौओं का महत्व-
मान्यता है कि कौए पितर का रूप होते हैं। श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितृ कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं। अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वे रुष्ट हो जाते हैं।
पितृ पक्ष आरंभ और समापन डेट
इस साल 10 सितंबर 2022 से पितृ पक्ष आरंभ हो जाएगा और 25 सितंबर 2022 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा।
पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां-
पूर्णिमा श्राद्ध – 10 सितंबर 2022-
प्रतिपदा श्राद्ध – 10 सितंबर 2022
द्वितीया श्राद्ध – 11 सितंबर 2022
तृतीया श्राद्ध – 12 सितंबर 2022
चतुर्थी श्राद्ध – 13 सितंबर 2022
पंचमी श्राद्ध – 14 सितंबर 2022
षष्ठी श्राद्ध – 15 सितंबर 2022
सप्तमी श्राद्ध – 16 सितंबर 2022
अष्टमी श्राद्ध- 18 सितंबर 2022
नवमी श्राद्ध – 19 सितंबर 2022
दशमी श्राद्ध – 20 सितंबर 2022
एकादशी श्राद्ध – 21 सितंबर 2022
द्वादशी श्राद्ध- 22 सितंबर 2022
त्रयोदशी श्राद्ध – 23 सितंबर 2022
चतुर्दशी श्राद्ध- 24 सितंबर 2022
अमावस्या श्राद्ध- 25 सितंबरर 2022
श्राद्ध विधि
किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिए।
श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है।
इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।
यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें।
श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए. मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।