November 23, 2024

अफ्रीकी देश माली में बर्फ की कीमत रोटी और दूध से अधिक, एक टुकड़े के लिए मरने-मारने पर उतारू अवाम

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बमाको
 अफ्रीकी देश माली में बर्फ के एक टुकड़े की कीमत रोटी और दूध से कहीं महंगी है। हालात इतने खराब हैं कि बर्फ के लिए लोग एक दूसरे से मारपीट करने से भी बाज नहीं आ रहे। यह सब रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और अघोषित बिजली कटौती के कारण हो रहा है। लोग राजधानी बमाको में लंबे समय तक बिजली कटौती के कारण फ्रिज के काम न करने के कारण भोजन को बचाए रखने और लू के दौरान ठंडा रखने के लिए बर्फ के टुकड़ों का सहारा ले रहे हैं। माली में इस समय अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रहा है।

बर्फ की कीमत में लगी आग

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों का कहना है कि बर्फ के कारण उनकी रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजें सुरक्षित रह पा रही हैं। यह कुछ हद तक काम तो कर रहा है, लेकिन बर्फ की कीमतों में हो रहे इजाफे ने जीवन को और भी ज्यादा मुश्किल बना दिया है। कुछ जगहों पर एक छोटे बैग के लिए 100 फ्रैंक सीएफए (13.6 रुपये) चुकाने पड़ रहे हैं। यहां तक कि कुछ जगहों पर तो यह 40 से 50 रुपये तक मिल रहा है। इससे बर्फ की कीमत रोटी से अधिक हो जा रही है। माली में ब्रेड या रोटी के एक टुकड़े की कीमत लगभग 250 सीएफए (34 रुपये) है।
 

महिलाओं के लिए बड़ी मुसीबत

माली में भीषण गर्मी और बिजली कटौती महिलाओं के लिए और अधिक संकट पैदा कर रहा है। महिलाओं को अब हफ्ते में कुछ बार के बजाए हर दिन खाना बनाने के लिए मजबूर किया जाता है। बिजली कटौती के कारण खाना खराब हो जाता है। ऐसे में उसे फेंकना पड़ता है। इसके बाद गर्मी और उमस के बीच फिर से खाना बनाना होता है। इससे रसोई का बजट तो बिगड़ ही रहा है, साथ में उनके सेहत पर भी गर्मी का बुरा असर पड़ रहा है। भीषण गर्मी के बावजूद महिलाएं खाना बनाने के लिए मजबूर हैं।

माली में ऊर्जा संकट क्यों पैदा हुआ

माली में समस्याएं करीब एक साल पहले शुरू हुईं। माली की सरकारी बिजली कंपनी हाल के वर्षों में करोड़ों डॉलर का कर्ज जमा करने के बाद बढ़ती मांग को पूरा करने में विफल रही है। कई लोगों के पास बैक-अप जनरेटर नहीं हैं, क्योंकि इसके लिए मिलने वाला ईंधन काफी महंगा है। बिजली नहीं होने का मतलब रात में पंखे नहीं होना है, जिससे कई लोगों को बाहर सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है। और इसका असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। लोगों को गर्मी के कारण चक्कर और मितली जैसी समस्याएं होती हैं। इससे निपटने के लिए उन्हें अक्सर अपने ऊपर पानी डालना पड़ता है।

माली में 48 डिग्री सेल्सियस पहुंचा तापमान

मार्च के बाद से, माली के कुछ हिस्सों में तापमान 48C से ऊपर बढ़ गया है, जिससे 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। सबसे अधिक असुरक्षित बुजुर्ग और बहुत युवा लोग हैं। बमाको में विश्वविद्यालय अस्पताल में काम करने वाले प्रोफ़ेसर याकूबा टोलोबा कहते हैं, "हम एक दिन में लगभग 15 अस्पताल में भर्ती होते देख रहे थे।" उन्होंने बीबीसी को बताया, "कई मरीज डिहाइड्रेशन का शिकार हैं। मुख्य लक्षण खांसी और ब्रोन्कियल की है। कुछ को श्वसन संबंधी परेशानी भी होती है।"

माली में स्कूल बंद, लोगों से घरों में रहने की अपील

एहतियात के तौर पर कुछ इलाकों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं और मुस्लिम बहुल देश में लोगों को हाल ही में खत्म हुए रमजान के दौरान रोजा न रखने की सलाह दी गई थी। प्रोफेसर टोलोबा कहते हैं, "हमें इन स्थितियों के लिए और अधिक योजना बनाने की ज़रूरत है, जो शायद वापस आएंगी। इस बार इसने हमें आश्चर्यचकित कर दिया।" घातक हीटवेव सेनेगल, गिनी, बुर्किना फासो, नाइजीरिया, नाइजर और चाड जैसे पड़ोसी देशों को भी प्रभावित कर रही है। वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) के वैज्ञानिकों के अनुसार, इन अत्यधिक ऊंचाईयों के लिए मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है।

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