November 25, 2024

पदोन्नति में आरक्षण, 6 साल से मामला कोर्ट में लंबित

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अब विधेयक लाकर आरक्षण का लाभ देने की तैयारी  
भोपाल

विभागीय पदोन्नति में आरक्षण का मामला बीते करीब सवा छह सालों से उच्चतम न्यायालय में लंबित है। इसके चलते अनेक अधिकारी,कर्मचारी इस अवधि में बिना पदोन्नति पाए  सेवानिवृत हो गए एवं पदोन्नति नहीं होने से बड़ी संख्या में पद रिक्त हो गए हैं। इनकी संख्या 70 हजार से अधिक है। सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए अब पदोन्नति में आरक्षण देने की तैयारी तेज कर दी है। इसके लिए आगामी 13 सितंबर से शुरू  होने जा रहे हैं राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक लाने के आसार हैं।

मंत्रालयीन सूत्रों के अनुसार, सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षित वर्ग को लुभाने के लिए विधेयक लाकर नए नियम लागू करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद नियमों को कानूनी मान्यता मिल जाएगी।

दूसरी ओर पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। ऐसे में पदोन्नति में आरक्षण देने के नए नियम बनाने और उन्हें लागू करने की कोशिश को लेकर कर्मचारी सरकार से खासे नाराज हैं। इन नियमों से अनारक्षित वर्ग भी संतुष्ट नहीं है। सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था इस मामले में  पहले ही विरोध दर्ज कर चुकी है। संस्था पदाधिकारियों का आरोप है कि उनके सुझावों पर ध्यान दिए बगैर एकतरफ ा नियम बनाए गए हैं। सरकार इन्हें लागू करती है, तो संस्था न्यायालय में याचिका दायर करेगी।

इन नियमों को लेकर है विरोध
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए 'मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम-2022 तैयार किए हैं। सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का मानना है कि नए नियमों से उन्हें दोहरा नुकसान होगा। इन नियमों में आरक्षित वर्ग के पद उपलब्ध न होने पर एससी, एसटी और अनारक्षित वर्ग को मिलाकर संयुक्त सूची बनाने एवं उसमें से पदोन्नति देने का प्रावधान किया गया है। वहीं आरक्षित वर्ग के पदों के लिए लोक सेवक उपलब्ध न होने पर ये पद रिक्त ही रखे जाएंगे। संयुक्त सूची से एससी और फि र एसटी वर्ग के कर्मचारियों को पहले पदोन्नति दी जाएगी। यदि किसी आरक्षित वर्ग के पद पहले से भरे हैं तो सभी रिक्त पदों को शामिल करते हुए संयुक्त चयन सूची में शामिल कर्मचारियों के नाम योग्यता के क्रम में रखे जाएंगे। आरक्षित वर्ग के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध न होने पर पद तब तक रिक्त रखे जाएंगे, जब तक संबंधित वर्ग का कर्मचारी न मिल जाए। इसमें रोस्टर व्यवस्था रहेगी और पावधान के अनुरूप आरक्षण तय रहेगा।

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