September 23, 2024

शुक्र व गुरु तारा हुआ अस्त नहीं होंगे मांगलिक कार्य, जाने कब होगा उदय

0

नवग्रह में देवताओं के गुरु बृहस्पति और दैत्यों के गुरु शुक्र का विशेष महत्व है. इन दोनों ही ग्रहों की स्थिति में बदलाव का असर मांगलिक और शुभ कामों के होने पर भी पड़ता है. इन दोनों तारों के अस्त होते ही मांगलिक और शुभ कामों को करना बंद हो जाता है. गुरु अर्थात बृहस्पति के साथ ही शुक्र के अस्त होने के साथ ही मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं और इन्हीं के उदय होने के साथ ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है. गुरु व शुक्र तारा के उदय और अस्त होने का खास महत्व है.

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, संवत् 2081 वैशाख कृष्ण पक्ष रविवार शुक्र 28 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 17 मिनट पर मेष राशि में अस्त हो गए थे और 29 जून 2024, को शाम 7 बजकर 37 मिनट पर मिथुन राशि में उदय हो जाएंगे. इसके साथ ही देवताओं के गुरु संवत् 2081 वैशाख कृष्ण पक्ष, मंगलवार 7 मई को वृषभ राशि में रात को 10 बजकर 8 मिनट पर अस्त हो जाएंगे, जो 6 जून में उदय हो जाएंगे.

शुक्र अस्त में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य ?
ज्योतिष में ग्रहों के राजा सूर्य के निकट जब कोई ग्रह एक तय दूरी पर आ जाता है, तो वह सूर्य ग्रह के प्रभाव से बलहीन हो जाता है. यही अवस्थ ग्रह का अस्त होना माना जाता है. शुक्र चूंकि सुख, वैवाहिक जीवन, विलासता, विवाह, धन, ऐश्वर्य का कारक माने गए हैं. ऐसे में शुक्र के अस्त होने पर मांगलिक कार्य में सफलता नहीं मिलती है, क्योंकि शुक्र अस्त अवस्था में कूपित होते हैं. जिससे व्यक्ति को इसके शुभ फल प्राप्त नहीं होते. यही वजह है कि शुक्र अस्त में शुभ काम की मनाही होती है.

गुरु अस्त में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य
ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य के दोनों ओर लगभग 11 डिग्री पर बृहस्पति स्थित होने से अस्त माने जाते हैं. चूंकि देवगुरु बृहस्पति, धर्म और मांगलिक कार्यों के कारक ग्रह हैं. इसलिए गुरु तारा अस्त होने पर मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.

विवाह, गृह प्रवेश, बावड़ी, भवन निमार्ण, कुआं, तालाब, बगीच, जल के बड़े होदे, व्रत का प्रारम्भ, उद्यापन, प्रथम उपाकर्म, नई बहू का गृह प्रवेश, देवस्थापन, दीक्षा, उपनयन, जडुला उतारना आदि कार्य नहीं करें. वधू का द्विरागमन इस समय काल में वर्जित है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *