सीएजी की रिपोर्ट यदि 2012 में अंतिम थी तो अब क्यों नहीं: माकपा
भोपाल
पोष्णहार घोटाले के सम्बंध में सीएजी की रिपोर्ट अगर अंतिम जांच रिपोर्ट नहीं है तो फिर 2012 में सीएजी की रिपोर्ट को भाजपा अंतिम मान कर जमीन आसमान एक क्यों कर रही थी?
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि तथ्यों को अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करना ही भाजपा के दोमुंहे चरित्र को उजागर करता है। मुख्यमंत्री का बयान उनकी इसी कार्यप्रणाली का हिस्सा है।
इस घोटाले की चर्चा करते हुए माकपा ने कहा है कि प्रदेश में जब इस घोटाले की शुरुआत हुई थी, तब अर्चना चिटनिस महिला बाल विकास मंत्री थी। कांग्रेस के 15 माह के कार्यकाल में मंत्री इमरती देवी थीं और मार्च 20 से तो यह मंत्रालय मुख्यमंत्री ही संभाल रहे हैं। इमरती देवी भी अब तो भाजपा में हैं और चुनाव हारने के बाद भी उन्हें कैबिनेट मंत्री के दर्जे से नवाजा गया है। इससे साफ है कि मुख्यमंत्री सिर्फ घोटाले में शामिल ही नहीं हैं बल्कि भ्रष्टों को सरंक्षण भी दे रहे हैं।
माकपा नेता ने कहा है कि मोटरसाइकिल, स्कूटर,ऑटो और टैंकर पर खाद्यान्न ढोने के मामले का मुख्यमंत्री ने बहुत ही बचकाने तरीके से बचाव किया है। यह तो सम्भव है कि किसी एक नम्बर की टायपिंग मिस्टेक हो जाए, मगर इतने सारे नम्बर कैसे गलत हो सकते हैं? जबकि इन्हीं वाहनों के नम्बरों पर बिल बाउचर तैयार कर भुगतान भी कर दिया गया है।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि चार घोटाले में तो बेजुबान जानवरों का चारा डकारा गया था, इस घोटाले में तो मासूम बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शिशुओ को दूध पिलाने वाली महिलाओं के पोष्णहार को डकारा गया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि जब पोष्णहार को नेता खा रहे थे, तभी प्रदेश कुपोषण, कमवजनी बच्चों, खून की कमी वाली महिलाओं और शिशु व मातृ मृत्यु दर में प्रदेश सबसे आगे है।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि सरकार जब यह कह रही है कि भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है तो फिर सरकार विधान सभा की सर्वदलीय समिति या राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की संयुक्त समिति से इसकी जांच करवाने को तैयार क्यों नहीं है? मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि मुख्यमंत्री को इस घोटाले की जिम्मेदारी लेना चाहिए।