September 25, 2024

जिन्टैक से कैंसर और अल्सर होने के 10 हजार मामले, एसिडिटी-गैस में उपयोगी दवा मामले में फाइजर समझौते को राजी

0

वाशिंगटन।

अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी फाइजर जिन्टैक (रेनिटिडिन) से कैंसर और अल्सर होने के 10 हजार से ज्यादा दावों पर समझौते को राजी हो गई है। हालांकि, समझौते की शर्तों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि यह समझौता पूरे अमेरिका में दायर मुकदमों को निपटाने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, इसके वित्तीय विवरण कंपनी ने उपलब्ध नहीं कराए हैं। इस मामले में अमेरिका में फाइजर के अलावा जीएसके, सनोफी और बोहरिंगर इंगेलहेम के खिलाफ संघीय और राज्य अदालतों में 70 हजार मुकदमे दायर हैं।

एसिडिटी, सीने में जलन और गैस के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली इस दवा से कैंसर और अल्सर होने की जानकारी 2019 में सामने आई। जिन्टैक में इस्तेमाल होने वाले रेनिटिडिन को 1977 में एलन एंड हनबरी लैब में बनाया गया। 1983 में ग्लैक्सो स्मिथ क्लाइन (जीएसके) ने इसे जेनटैक के तौर पर बाजार में उतारा। 1997 में रेनिटिडिन पर जीएसके का पेटेंट खत्म हो गया। इस बीच फाइजर और सनोफी जैसी कंपनियों ने भी इसका उत्पादन किया। 2019 में जीएसके के पूर्व कर्मचारियों सहित कुछ स्वतंत्र वैज्ञानिकों ने दावा किया कि रेनिटिडिन में कैंसर कारक एन-नाइट्रोसोडिमिथाइलमाइन (एनडीएमए) की भारी मात्रा पाई जाती है। इसके बाद 2020 में अमेरिकी नियामक संघीय दवा प्रशासक (एफडीए) ने दवा के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया और इसे बाजार से बाहर कर दिया।

भारत में बेचने पर प्रतिबंध नहीं
जीएसके ने दुनियाभर के बाजारों से जिन्टैक ब्रांड नाम से बेची जाने वाली इस दवा को हटा दिया है। हालांकि, भारत में इस दवा की बिक्री पर अब भी कोई प्रतिबंध नहीं है। भारत में रेनिटिडिन का इस्तेमाल कर बनने वाली सैकड़ों जेनरिक दवाएं बेची जा रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *