पीओके को भारत में शामिल होना है, उठ रही मांग, आज भी आंदोलन से सब बंद
मुजफ्फराबाद
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को एक बार फिर से स्कूल और दफ्तरों को बंद करना पड़ा है और आंदोलनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं। यही नहीं पीओके के रावलकोट में तो लोग भारत के साथ विलय की मांग वाले पोस्टर लेकर निकले। पीओके पर पाकिस्तान ने 1947 में कबायलियों के जरिए हमला बोलकर अवैध कब्जा जमा लिया था, जो भारत के जम्मू-कश्मीर प्रांत का अभिन्न अंग है। भले ही पाकिस्तान ने इस इलाके पर अवैध कब्जा कर रखा है, लेकिन अब तक यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं तक के लिए परेशान हैं।
हालात ऐसे हैं कि शुक्रवार से यहां लोग गेहूं और बिजली की ऊंची कीमतों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। यह हिंसक रविवार को तो इतना हिंसक हो गया कि एक सब-इंस्पेक्टर अदनान कुरैशी की गोली लगने से मौत हो गई। इसके अलावा करीब 100 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। यह मूवमेंट जम्मू-कश्मीर जॉइंच अवामी ऐक्शन कमेटी के बैनर तले हो रहा है। कमेटी का कहना है कि हिंसक घटनाओं में हमारा कोई रोल नहीं है। कुछ उपद्रवी तत्व आंदोलन में हमें बदनाम करने के लिए घुस आए और उन्होंने ऐसा जानबूझकर किया था। अब तक पाकिस्तानी पुलिस 70 लोगों को अरेस्ट कर चुकी है। इसके अलावा बड़ी संख्या अवामी कमेटी के लोगों के घरों पर रेड भी मारी जा रही है।
गुरुवार को कमेटी ने चक्का जाम का ऐलान किया था और उसके बाद शुक्रवार को लोग सड़कों पर उतर आए थे। इन लोगों का कहना है कि इलाके में बिजली बहुत महंगी है, जिससे कारोबार करना मुश्किल है। इसके अलावा गेहूं के दाम बहुत ज्यादा हैं। बता दें कि गेहूं, पेट्रोल जैसी जरूरी चीजों के दाम पाकिस्तान में बीते करीब दो सालों से आसमान छू रहे हैं। कमजोर आर्थिक स्थिति से पाकिस्तान बदहाल है और ऐसे में पीओके जैसे इलाके जो पहले से ही पिछड़े हैं, वहां तो कोहराम मचा है।
पाकिस्तान के खिलाफ पीओके में लोगों के गुस्से को ऐसे समझा जा सकता है कि रावलकोट में कई प्रदर्शनकारियों के हाथों में पोस्टर थे। इन पोस्टरों में भारत के साथ विलय की मांग की गई थी। कुछ आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रदर्शन इसलिए हिंसक हो गया क्योंकि जनता के हित की मांग करने वाले लोगों के खिलाफ हिंसा का प्रयोग किया गया। रावलकोट के अलावा तत्तापानी, खुइरट्टा, मीरपुर, सेहांसा और मुजफ्फराबाद में यह आंदोलन हुआ है। पाकिस्तान की सरकार ने सोमवार को भी सारे शिक्षण संस्थानों और दफ्तरों को बंद करने का आदेश दिया है। इसके अलावा लोगों को जुटने से रोकने के लिए धारा 144 लगा दी गई है।