वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के बीच एफटीए भागीदारों से भारत का आयात 38 प्रतिशत बढ़ा : जीटीआरआई
वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के बीच एफटीए भागीदारों से भारत का आयात 38 प्रतिशत बढ़ा : जीटीआरआई
एफटीए भागीदारों से भारत का आयात 38 प्रतिशत बढ़ा : रिपोर्ट
उच्च ऋण वृद्धि के जरिए बैंकों की जोखिम उठाने की क्षमता, साख निर्धारित करने में महत्वपूर्ण : फिच
नई दिल्ली
भारत का संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे मुक्त व्यापार समझौते वाले देशों से माल का आयात वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के बीच करीब 38 प्रतिशत बढ़कर 187.92 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) भागीदारों को देश का निर्यात 2018-19 में 107.20 अरब अमेरिकी डॉलर से 2023-24 में 14.48 प्रतिशत बढ़कर 122.72 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
शोध संस्थान ने कहा, ‘‘भारत का आयात वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के बीच करीब 37.97 प्रतिशत बढ़कर 187.92 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। यह वृद्धि भारत की वैश्विक व्यापार गतिशीलता पर मुक्त व्यापार समझौतों के महत्वपूर्ण तथा विविध प्रभाव को दर्शाती है।’’
आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में संयुक्त अरब अमीरात में भारत का निर्यात 2023-24 में 18.25 प्रतिशत बढ़कर 35.63 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि 2018-19 में यह 30.13 अरब अमेरिकी डॉलर था। आयात वित्त वर्ष 2018-19 में 29.79 अरब अमेरिकी डॉलर से 61.21 प्रतिशत बढ़कर 48.02 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एफटीए मई 2022 में लागू हुआ था। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया, जापान, 10 देशों वाले दक्षिणपूर्व एशियाई गुट आसियान और दक्षिण कोरिया के साथ भी एफटीए के बाद निर्यात और आयात में बढ़ोतरी हुई है।
भारत विश्व व्यापार में 1.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ निर्यात में विश्व स्तर पर 17वें स्थान पर है। आयात के मोर्चे पर वैश्विक व्यापार में 2.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ देश आठवें स्थान पर है।
वित्त वर्ष 2023-24 में हालांकि भारत का व्यापारिक निर्यात 3.11 प्रतिशत गिरकर 437.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया और आयात भी 5.4 प्रतिशत घटकर 677.2 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
अजय श्रीवास्तव जीटीआरआई के सह-संस्थापक हैं। वह एक भारतीय व्यापार सेवा अधिकारी थे। मार्च 2022 में वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लिया। उनके पास व्यापार नीति निर्माण, डब्ल्यूटीओ और एफटीए वार्ता का अनुभव है।
उच्च ऋण वृद्धि के जरिए बैंकों की जोखिम उठाने की क्षमता, साख निर्धारित करने में महत्वपूर्ण : फिच
नई दिल्ली,
बेहतर वित्तीय प्रदर्शन के बावजूद उच्च ऋण वृद्धि के जरिए भारतीय बैंकों की जोखिम उठाने की क्षमता उनकी साख के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बनी रहेगी। फिच रेटिंग्स ने यह बात कही।
एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले ऋण चक्र से संपत्ति की गुणवत्ता का दबाव कम हो रहा है, जिससे अनुकूल कारोबारी माहौल बन रहा है। इससे बैंकों की क्षमता और वृद्धि की चाह बढ़ी है।
वित्त वर्ष 2023-24 में बैंक ऋण में वित्त वर्ष 2022-23 के समान 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह वित्त वर्ष 2014-15 और 2021-22 की तुलना में आठ प्रतिशत सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से अधिक है।
एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट ‘बेहतर प्रदर्शन के बावजूद भारतीय बैंकों की व्यवहार्यता रेटिंग पर जोखिम लेने की क्षमता का असर’ में कहा कि बड़े निजी बैंकों ने पिछले ऋण चक्र में महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल की और तेजी से बढ़ना जारी रखा। सरकारी बैंक भी तेजी से वृद्धि की राह पर लौट आए लेकिन बड़े निजी बैंक पिछड़ गए।
फिच ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में 38 प्रतिशत से बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का करीब 40 प्रतिशत होने के बावजूद भारत का घरेलू ऋण दुनिया में सबसे कम है।
एजेंसी ने कहा, ‘‘भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने घरेलू बचत दर में गिरावट, प्रारंभिक चूक, प्रति उधारकर्ता उच्च ऋण (उपभोग ऋण उधारकर्ताओं में से 43 प्रतिशत के पास तीन ‘लाइव’ ऋण थे) और उपभोग ऋण में वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त की है। भले ही सुरक्षित ऋण बैंकों की ऋण पुस्तिकाओं पर हावी हैं।’’